दर्शन को तेरे आया,
सब देव तेरी माया,
पूजा करेंगे तेरी,
सेवा करेंगे तेरी ॥
तुम ही मेरे हो लंबोदर,
आस ना कोई दूजा,
अपनी किरपा रखना स्वामी,
मन से की है पूजा,
मंदिर में तेरे आके देवा,
लडुवन भोग लगाके,
दर्शंन को तेरे आया,
सब देव तेरी माया,
पूजा करेंगे तेरी,
सेवा करेंगे तेरी ॥
ना कोई बंधन जगत का कोई,
पहरा ना लग पाए,
सब बाधाएं दूर है होती,
शरण जो तेरी आये,
गजमुख देव छवि ये तेरी,
मन में इसे बिठाके,
दर्शंन को तेरे आया,
सब देव तेरी माया,
पूजा करेंगे तेरी,
सेवा करेंगे तेरी ॥
तेरा ही मुख देख गणेशा,
रात को मैं सो जाऊं,
भोर भये जब आंख खुले तो,
तेरे दर्शन पाऊं,
शिव के पुत्र दुलारे तुम हो,
भक्तो के भी प्यारे,
दर्शंन को तेरे आया,
सब देव तेरी माया,
पूजा करेंगे तेरी,
सेवा करेंगे तेरी ॥
दर्शन को तेरे आया,
सब देव तेरी माया,
पूजा करेंगे तेरी,
सेवा करेंगे तेरी ॥
बसंत पंचमी का पर्व ज्ञान, विद्या और समृद्धि का प्रतीक है। यह दिन पूरी तरह से माता सरस्वती को समर्पित है, और इस दिन उनकी पूजा का विधान है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। इसी कारण से हर वर्ष इस तिथि को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी सबसे महत्वपूर्ण दिन माना गया है। यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। इस दिन भक्त श्रद्धा पूर्वक पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।
सनातन धर्म में विनायक चतुर्थी का काफी महत्व है। चतुर्थी का पर्व शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। इस बार विनायक चतुर्थी 1 फरवरी 2025 को है। यह दिन भगवान गणेश जी को समर्पित है।