छोटी सी कुटिया है मेरी,
बालाजी तुम आ जाना,
रुखा सूखा दिया है मुझको,
उसका भोग लगा जाना,
उसका भोग लगा जाना ॥
सौंप दिया है जीवन का अब,
भार तुम्हारे हाथों में,
जीत तुम्हारे हाथों में,
हार तुम्हारे हाथों में,
तुम हो स्वामी मैं हूँ सेवक,
रुखा सूखा दिया है मुझको,
उसका भोग लगा जाना,
उसका भोग लगा जाना ॥
निर्धन हूँ मैं निर्बल हूँ मैं,
कैसे तुम्हे मनाऊं मैं,
मन मंदिर में तुम्हे बिठाकर,
भाव के भोग लगाऊं मैं,
मेरी श्रद्धा को स्वीकारो,
रुखा सूखा दिया है मुझको,
उसका भोग लगा जाना,
उसका भोग लगा जाना ॥
तुमको अर्पण सारा जीवन,
तुमको ही बलिहार है,
तेरे सहारे तेरे भरोसे,
मेरा ये परिवार है,
हाथ जोड़कर कहता ‘बंसल’,
विनती को ना ठुकराना,
रुखा सूखा दिया है मुझको,
उसका भोग लगा जाना,
उसका भोग लगा जाना ॥
छोटी सी कुटिया है मेरी,
बालाजी तुम आ जाना,
रुखा सूखा दिया है मुझको,
उसका भोग लगा जाना,
उसका भोग लगा जाना ॥
सनातन धर्म में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान की पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और जातक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
देवों के देव महादेव को भांग बेहद प्रिय है। जब भी भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है, तो उन्हें भांग जरूर चढ़ाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि अगर भगवान शिव की पूजा में भांग न हो, तो पूजा अधूरी मानी जाती है।
सनातन धर्म में किसी भी मांगलिक कार्यों और पूजा-पाठ में नारियल चढ़ाने का विशेष महत्व है। कलश स्थापना से लेकर, विवाह, उपनयन संस्कार और यहां तक कि बेटी के विदाई के दौरान भी नारियल को महत्वपूर्ण माना गया है।
कुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में होता है। जनवरी 2025 से संगम नगरी प्रयागराज में मेले की शुरुआत होने जा रही है। इस दौरान वहां ऐसे अद्वितीय नजारे देखने को मिलेंगे, जो आम लोग अपनी जिंदगी में बहुत कम ही देखते हैं।