छूम छूूम छननन बाजे, मैय्या पांव पैंजनिया (Chum Chumu Channan Baje Maiya Paon Panjaniya)

छूम छूूम छननन बाजे,

मैय्या पांव पैंजनिया।

छूम छूूम छननन बाजे,

मैय्या पांव पैंजनिया।

छूम छूूम छननन बाजे,

मैय्या पांव पैंजनिया।


पांव पैंजनिया मैय्या पांव पैंजनिया।

पांव पैंजनिया मैय्या पांव पैंजनिया।।

पांव पैंजनिया मैय्या पांव पैंजनिया।।।

पांव पैंजनिया मैय्या पांव पैंजनिया।।।।


छूम छूूम छननन बाजे,

मैय्या पांव पैंजनिया।

छूम छूूम छननन बाजे,

मैय्या पांव पैंजनिया।


कौन घड़ावे मैय्या पांव पैंजनिया

(कौन घड़ावे मैय्या पांव पैंजनिया)

कौन घड़ावे मैय्या पांव पैंजनिया

(कौन घड़ावे मैय्या पांव पैंजनिया)

कौन ओढ़ा दे ओढ़निया,

मैय्या पांव पैंजनिया,

छूम छूूम छननन बाजे,

मैय्या पांव पैंजनिया। - 3


सुनरा घड़ावे मैय्या पांव पैंजनिया

(सुनरा घड़ावे मैय्या पांव पैंजनिया)

सुनरा घड़ावे मैय्या पांव पैंजनिया

(सुनरा घड़ावे मैय्या पांव पैंजनिया)

दर्जी ओढ़ा दे ओढ़निया,

मैय्या पांव पैंजनिया,

छूम छूूम छननन बाजे,

मैय्या पांव पैंजनिया। - 3


कैहे चढ़ा दऊं मैय्या पांव पैंजनीय

(कैहे चढ़ा दऊं मैय्या पांव पैंजनिया)

कैहे चढ़ा दऊं मैय्या पांव पैंजनिया

(कैहे चढ़ा दऊं मैय्या पांव पैंजनिया)

कैहे चढ़ा दऊं ओढ़निया,

मैय्या पांव पैंजनिया,

छूम छूूम छननन बाजे,

मैय्या पांव पैंजनिया। - 3


दुर्ग चढ़ा दऊं मैय्या पांव पैंजनिया

(दुर्ग चढ़ा दऊं मैय्या पांव पैंजनिया)

दुर्ग चढ़ा दऊं मैय्या पांव पैंजनिया

(दुर्ग चढ़ा दऊं मैय्या पांव पैंजनिया)

लंगूर चढ़ा दऊं ओढ़निया,

मैय्या पांव पैंजनिया,

छूम छूूम छननन बाजे,

मैय्या पांव पैंजनिया। - 3


छूम छूूम छननन बाजे,

मैय्या पांव पैंजनिया। 

पांव पैंजनिया मैय्या पांव पैंजनिया।

पांव पैंजनिया मैय्या पांव पैंजनिया।।


छूम छूूम छननन बाजे,

मैय्या पांव पैंजनिया।

(छूम छूूम छननन बाजे,

मैय्या पांव पैंजनिया।)

दोहराएं....


........................................................................................................
कन्हैया ने जब पहली बार बजाई मुरली, सारी सृष्टि में आनंद की लहर दौड़ी

मुरलीधर, मुरली बजैया, बंसीधर, बंसी बजैया, बंसीवाला भगवान श्रीकृष्ण को इन नामों से भी जाना जाता है। इन नामों के होने की वजह है कि भगवान को बंसी यानी मुरली बहुत प्रिय है। श्रीकृष्ण मुरली बजाते भी उतना ही शानदार हैं।

करवा चौथ व्रत-कथा की कहानी (Karva Chauth Vrat-katha Ki Kahani)

अतीत प्राचीन काल की बात है। एक बार पाण्डु पुत्र अर्जुन तब करने के लिए नीलगिरि पर्वत पर चले गए थे।

दादी के दरबार की, महिमा अपरम्पार (Dadi Ke Darbar Ki Mahima Aprampaar)

दादी के दरबार की,
महिमा अपरम्पार,

श्री भैरव चालीसा (Shri Bhairav ​​Chalisa)

श्री गणपति गुरु गौरी पद, प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वंदन करो, श्री शिव भैरवनाथ ॥

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने