छठि मैया बुलाए (Chhathi Maiya Bulaye)

बन परदेशिया जे गइल शहर तू

बिसरा के लोग आपन गांव के घर तू

उहे घरवा उहे गलिया पुकारे

छठि मैया रास्ता निहारे

जय हो छठि मैया

बुलावे छठि मैया


अंगना में जीजी संग मौसी

छठि माई के गीत गाए

छठि माई के गीत गाए

अंगना में जीजी संग मौसी

छठि माई के गीत गाए

छठि माई क गीत गाए

सज धज के नयिकी दुल्हिन

पर्व के ठेकुआ बनाए

पर्व के ठेकुआ बनाए

हे छठि मैया होउ ना सहाय

हे छठि मैया होउ ना सहाय


बाबूजी गेलथुन केलवा किनाये

पटना बजरवा से नेमुआ ले आये

फलवा से बबुनी बहंगी सजाए

हो फलवा के भरवा से लचकत जाए

बहंगी लचकत जाए

बहंगी लचकत जाए


पानी में खड़ा होके बरती

मांगे आशीष अपार

मांगे आशीष अपार

सबके सुहागिन रखिह

दिह उमिर हजार

दिह उमिर हजार


हे दीनानाथ सुन ल पुकार

हे दीनानाथ विनती हमार

हे दीनानाथ सुन ल पुकार

हे दीनानाथ विनती हमार

हे दीनानाथ सुन ल पुकार

हे दीनानाथ विनती हमार


पुरा जग से हारे

आए तेरे द्वारे

सुने हैं कि छठि माय

भाग संवारे

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रामराज्य! शांति के दूत है हम(Ramrajya - Shanti ke doot hai hum)

शांति के दूत है हम
शांति के हैं हम पूजारी

महाभारत में परशुराम ने किसे दी थी शस्त्र विद्या

भगवान परशुराम, जो भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं, वे न केवल धर्म के रक्षक थे बल्कि एक महान युद्ध आचार्य भी थे। उन्होंने कई महान योद्धाओं को शस्त्र और युद्ध की विद्या का ज्ञान दिया था, जिनमें से तीन शिष्य ऐसे थे जिन्होंने महाभारत के ऐतिहासिक युद्ध में कौरवों की सेना की डोर संभाली थी।

राम राम जपो, चले आएंगे हनुमान जी (Ram Ram Bhajo Chale Aayenge Hanuman Ji)

दो अक्षर वाला नाम,
आये बड़ा काम जी,

तृष्णा ना जाए मन से - भजन (Trishna Na Jaye Man Se)

तृष्णा ना जाये मन से ॥

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