चलो मन गंगा जमुना तीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
गंगा जमुना निर्मल पानी,
गंगा जमुना निर्मल पानी,
गंगा जमुना निर्मल पानी,
शीतल होत शरीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
बंसी बजावत नाचत कान्हा,
संग लिये बलबीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे,
कुण्डल झलकत हीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर,
चरण कमल पर शीश,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
चलो मन गंगा-जमुना तीर,
गंगा जमना निरमल पाणी
शीतल होत शरीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
गंगा जमुना निर्मल पानी,
गंगा जमुना निर्मल पानी,
गंगा जमुना निर्मल पानी,
शीतल होत शरीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
चलो मन गंगा जमुना तीर,
नागा साधु भारत की प्राचीन साधु परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माने जाते हैं। इनका जीवन तपस्या, साधना और आत्मज्ञान की खोज में समर्पित रहता है। नागा साधुओं को मुख्य रूप से महाकुंभ के चार स्थानों के अनुसार ही चार प्रकार में बांटा गया है। बता दें कि महाकुंभ भारत के चार शहरों, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और इलाहाबाद में लगता है।
नव वर्ष यानी साल 2025 कई राशियों के जातकों के लिए बेहद शुभ होने वाला है। न्याय के देवता शनिदेव और देवगुरु बृहस्पति के राशि परिवर्तन से जहां कई राशि के जातकों को लाभ होगा।
गंगा के किनारे, सूरज की पहली किरणों के साथ, धुंधली सुबह में एक दृश्य उभरता है। यह किसी भी सामान्य दिन से बिल्कुल अलग प्रतीत होता है। राख में लिपटे नग्न शरीर, जटाजूट और आंखों में एक अनोखी चमक। यह दृश्य महाकुंभ मेले की भव्यता को दर्शाता है। नागा साधुओं के चार प्रकारों में से ही एक प्रयाग के नागा साधु होते हैं।
हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन रामजी के साथ हनुमान जी की भी पूजा की जाती है। साथ ही मंगल देव की उपासना की जाती है। मंगल ग्रह ऊर्जा के कारक हैं। इन्हें ग्रहों का सेनापति भी कहा जाता है।