नवदुर्गा, दुर्गा पूजा, नवरात्रि, नवरात्रे, नवरात्रि, माता की चौकी, देवी जागरण, जगराता, शुक्रवार दुर्गा तथा अष्टमी के शुभ अवसर पर गाये जाने वाला प्रसिद्ध व लोकप्रिय भजन - चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है!
॥दोहा॥
माता जिनको याद करे,
वो लोग निराले होते हैं ।
माता जिनका नाम पुकारे,
किस्मत वाले होतें हैं ।
चलो बुलावा आया है,
माता ने बुलाया है ।
चलो बुलावा आया है,
माता ने बुलाया है ।
चलो बुलावा आया है,
माता ने बुलाया है ।
ऊँचे पर्वत पर रानी माँ ने,
दरबार लगाया है ।
चलो बुलावा आया है,
माता ने बुलाया है ।
चलो बुलावा आया है,
माता ने बुलाया है ।
सारे जग मे एक ठिकाना,
सारे गम के मारो का,
रास्ता देख रही है माता,
अपने आंख के तारों का ।
मस्त हवाओं का एक झोखा,
यह संदेशा लाया है ।
चलो बुलावा आया है,
माता ने बुलाया है ।
चलो बुलावा आया है,
माता ने बुलाया है ।
जय माता दी॥ जय माता दी ॥
जय माता की कहते जाओ,
आने जाने वालो को,
चलते जाओ तुम मत देखो,
अपने पीछे वालों को ।
जिस ने जितना दर्द सहा है,
उतना चैन भी पाया है ।
चलो बुलावा आया है,
माता ने बुलाया है ।
चलो बुलावा आया है,
माता ने बुलाया है ।
जय माता दी॥ जय माता दी ॥
वैष्णो देवी के मन्दिर मे,
लोग मुरादे पाते हैं,
रोते रोते आते है,
हस्ते हस्ते जाते हैं ।
मैं भी मांग के देखूं,
जिस ने जो माँगा वो पाया है ।
चलो बुलावा आया है,
माता ने बुलाया है ।
चलो बुलावा आया है,
माता ने बुलाया है ।
जय माता दी॥ जय माता दी ॥
मैं तो भी एक माँ हूँ माता,
माँ ही माँ को पहचाने ।
बेटे का दुःख क्या होता है,
और कोई यह क्या जाने ।
उस का खून मे देखूं कैसे,
जिसको दूध पिलाया है ।
चलो बुलावा आया है,
माता ने बुलाया है ।
चलो बुलावा आया है,
माता ने बुलाया है ।
चलो बुलावा आया है,
माता ने बुलाया है ।
चलो बुलावा आया है,
माता ने बुलाया है ।
प्रेम से बोलो, जय माता दी ॥
ओ सारे बोलो, जय माता दी ॥
वैष्णो रानी, जय माता दी ॥
अम्बे कल्याणी, जय माता दी ॥
माँ भोली भाली, जय माता दी ॥
माँ शेरों वाली, जय माता दी ॥
झोली भर देती, जय माता दी ॥
संकट हर लेती, जय माता दी ॥
ओ जय माता दी, जय माता दी ॥
जय जय जय प्रभु रामदे, नमो नमो हरबार।
लाज रखो तुम नन्द की, हरो पाप का भार।
जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर ।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर ॥
हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड ।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥
अतीत प्राचीन काल की बात है। एक बार पाण्डु पुत्र अर्जुन तब करने के लिए नीलगिरि पर्वत पर चले गए थे।