नवीनतम लेख
दोहा:
कबीरा जब हम पैदा हुए,
जग हँसे हम रोये,
ऐसी करनी कर चलो,
हम हँसे जग रोये।
चदरिया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥
अष्ट कमल का चरखा बनाया,
पांच तत्व की पूनी,
नौ दस मास बुनन को लागे,
मूरख मैली किनी,
चदरीया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥
जब मोरी चादर बन घर आई,
रंगरेज को दिनी,
ऐसा रंग रंगा रंगरे ने,
के लालो लाल कर दिनी,
चदरीया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥
चादर ओढ़ शंका मत करियो,
ये दो दिन तुमको दिनी,
मूरख लोग भेद नहीं जाने,
दिन दिन मैली किनी,
चदरीया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥
ध्रुव प्रहलाद सुदामा ने ओढ़ी,
शुकदेव ने निर्मल किनी,
दास कबीर ने ऐसी ओढ़ी,
ज्यो की त्यों धर दिनी,
चदरीया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥
चदरीया झीनी रे झीनी,
राम नाम रस भीनी,
चदरीया झीनी रे झीनी ॥
........................................................................................................'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।