नवीनतम लेख
भोले शंकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे,
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाए रे,
भोले शँकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे ॥
ऐसी मस्ती छाय रही,
इस सावन के महीने में,
के दे दे यो पल में भोला,
कमी नही है खजाने में,
धार लंगोटी हाथ में डमरू,
नंदेश्वर कहलाए रे,
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाए रे,
भोले शँकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे ॥
अंग भभूती मुंड माल गले,
नाग शेष लिपटाया रे,
तपती गर्मी धुना रमता,
आगे आसन लाया रे,
सुध बुध नही रही भोले ने,
इत यो डमरू बजाए रे,
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाए रे,
भोले शँकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे ॥
जटा गंगा और रजत चंद्रमा,
सोहे शीश पधारे रे,
ॐ नाम के नाद से तूने,
धरती अम्बर तारे रे,
कीड़ी ने कण हाथी ने मण,
भोला सब ने पुगाये रे,
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाए रे,
भोले शँकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे ॥
भस्मासुर ने करी तपस्या,
वर दिया मुह माँगा रे,
जैसी करनी वैसी भरनी,
के अनुसार वो पाया रे,
शिव धुनें पर ‘सज्जन सिरसा’,
वाला शीश नवाए रे,
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाए रे,
भोले शँकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे ॥
भोले शंकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे,
भांग धतुरा रगड़ रगड़ के,
गंगा नीर चढ़ाए रे,
भोले शँकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे ॥
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।