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भोले ओ भोले आया दर पे (Bhole O Bhole Aaya Dar Pe)

भोले ओ भोले आया दर पे (Bhole O Bhole Aaya Dar Pe)

भोले ओ भोले आया दर पे,

मेरे सिर पे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥


सारे जग का तू विधाता,

कहते है लोग सारे,

देवों में महादेवा,

सब वश में है तुम्हारे

तू तो बाबा अंतर्यामी,

मेरी पीड़ा क्यों नहीं जानी,

भेद है क्या बतला दे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥


तू कर्ता तू धर्ता,

तू ही संहार करता,

सुनता हूँ मैं दर पे,

सबका ही काम बनता,

ओ कैलाशी ओ अविनाशी,

मेरी अखियाँ फिर क्यों प्यासी,

प्यास तू इनकी बुझा दे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥


श्रष्टि के कण कण में,

बस तेरा ओमकारा,

सबको तू प्यार करता,

क्या मैं नहीं हूँ प्यारा,

हाथ जोड़कर तुम्हे मनाऊं,

कैसे भोले तुमको पाऊं,

‘श्याम’ को ये बतला दे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥


भोले ओ भोले आया दर पे,

मेरे सिर पे,

जरा हाथ तू फिरा दे,

मेरे भाग्य को जगा दे ॥

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एकांत कमरे में होता है खरना का व्रत

छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इसी दिन से व्रतधारी प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे के निर्जला व्रत का आरंभ करते हैं। इस दिन खरना विशेष महत्व रखता है और इसे एकांत या बंद कमरे में संपन्न किया जाता है।

छठ पर्व में लोहंडा क्या है

छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना कहलाता है। जिसे लोहंडा भी कहा जाता है। इस दिन का उद्देश्य मानसिक और शारीरिक शुद्धिकरण है।

छठ पूजा अर्घ्य विधि

छठ पूजा बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रमुखता से मनाया जाने वाला पर्व है। जिसमें सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है।

छठ में प्रत्यूषा पूजा

हमारे देश में छठ पूजा का पर्व सूर्य और छठी मैया की उपासना का प्रमुख पर्व है ये चार दिनों तक चलता है। यह पर्व विशेष तौर पर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई वाले हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है।

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