भटकूं क्यों मैं भला,
संग मेरे है सांवरा,
जब तूफानों ने रुलाया,
लिले चढ़कर श्याम आया,
मुस्कुरा कर मुझसे बोला,
मैं तेरा हूँ मैं तेरा,
भटकूँ क्यों मैं भला,
संग मेरे है सांवरा ॥
श्याम जबसे है मिला,
फुल मधुबन का खिला,
लाख पतझड़ सर खड़ा था,
मैं बहारों में पला,
जब कभी मैं लडखडाया,
साया बनकर श्याम आया,
सर पे रख के हाथ बोला,
मैं तेरा हूँ मैं तेरा,
भटकूँ क्यों मैं भला,
संग मेरे है सांवरा ॥
जिंदगी वीरान थी,
हर गली सुनसान थी,
श्याम के चलते ही मुझको,
दुनिया अब पहचानती,
दीप खुशियों का जलाया,
चरणों में अपने बैठाया,
ले शरण फिर श्याम बोला,
मैं तेरा हूँ मैं तेरा,
भटकूँ क्यों मैं भला,
संग मेरे है सांवरा ॥
सांसे मेरी श्याम से,
श्याम ही मेरा जहान,
रिश्ते दुनिया में बहुत है,
श्याम सा रिश्ता कहाँ,
बनके बाबुल श्याम आया,
कंधे से कन्धा मिलाया,
सर झुकाकर मैं बोला,
तू मेरा बस तू मेरा,
भटकूँ क्यों मैं भला,
संग मेरे है सांवरा ॥
भटकूं क्यों मैं भला,
संग मेरे है सांवरा,
जब तूफानों ने रुलाया,
लिले चढ़कर श्याम आया,
मुस्कुरा कर मुझसे बोला,
मैं तेरा हूँ मैं तेरा,
भटकूँ क्यों मैं भला,
संग मेरे है सांवरा ॥
हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के साथ सूर्य, चंद्रमा, नदियों और प्रकृति की पूजा का भी विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के बाद चंद्र दर्शन शुभ और पुण्यदायी माना जाता है।
दिसंबर माह वर्ष का अंतिम महीना होने के साथ-साथ धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। इस महीने मार्गशीर्ष और पौष के कई व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे।
हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि, रिद्धि-सिद्धि का देवता माना जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा और व्रत किया जाता है।
कृष्ण कन्हैया बंसी बजैया,
नंदलाला घनश्याम रे,