भरी उनकी आँखों में है, कितनी करुणा (Bhari Unki Ankho Mein Hai Kitni Karuna)

भरी उनकी आँखों में है, कितनी करुणा

जाकर सुदामा भिखारी से पूछो


है करामात क्या उनके चरणों की रज

जाकर के गौतम की नारी से पूछो


कृपा कितनी करते हैं शरणागतों पे

कृपा कितनी करते हैं शरणागतों पे


बता सकते हैं यदि, बता सकते हैं यदि

बता सकते हैं यदि, मिलेंगे विभीषण


पतितों को पावन, वो कैसे बनाते

जटायु सरिस, माँसाहारी से पूछो


है करामात क्या उनके चरणों की रज

जाकर के गौतम की नारी से पूछो


प्रभु कैसे सुनते हैं, दुखियों की आहें

तुम्हें ज्ञात हो राजा, बलि की कहानी


निराधार का कौन, आधार है जग में

ये प्रश्न द्रुपद दुलारी से पूछो


है करामात क्या उनके चरणों की रज

जाकर के गौतम की नारी से पूछो


छ्मा शीलता उनमें, कितनी भरी है

बताएँगे भृगुजी, वो सब जानते हैं


हृदय उनका भावों का, है कितना भूंखा

विदुर सबरी से, बारी बारी से पूछो


है करामात क्या उनके चरणों की रज

जाकर के गौतम की नारी से पूछो

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गजानंद वन्दन करते है (Gajanand Vandan Karte Hain)

गजानंद वंदन करते है ॥
आज सभा में स्वागत है,

होली और रंगों का अनोखा रिश्ता

होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि ये खुशियां, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और गिले-शिकवे भुलाकर त्योहार मनाते हैं। लेकिन क्या आपने ये कभी सोचा है कि होली पर रंग लगाने की परंपरा कैसे शुरू हुई? इसके पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है, जो भगवान श्रीकृष्ण और प्रह्लाद से जुड़ी है।

भोलेनाथ है वो मेरे, भोलेनाथ हैं (Bholenath Hai Vo Mere Bholenath Hai)

हर इक डगर पे हरपल,
जो मेरे साथ हैं,

मेरे भोले बाबा जटाधारी शम्भू (Mere Bhole Baba Jatadhari Shambhu)

मेरे भोले बाबा जटाधारी शम्भू,
हे नीलकंठ त्रिपुरारी हे शम्भू ॥

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