भारत माता तेरा आँचल,
हरा-भरा धानी-धानी ।
मीठा-मीठा चम्-चम करता,
तेरी नदियों का पानी ।
हरी हो गयी बंजर धरती,
नाचे झरनो में बिजली ।
सोना-चांदी उगल रही है,
तेरी नदियों का पानी ।
भारत माता तेरा आँचल,
हरा-भरा धानी-धानी ।
मीठा-मीठा चम्-चम करता,
तेरी नदियों का पानी ।
मस्त हवा जब लहराती है,
दूर-दूर तक पहुंचाती है ।
तेरे ऊँचे-ऊँचे पर्वत,
निडर बहादुर सेनानी ।
भारत माता तेरा आँचल,
हरा-भरा धानी-धानी ।
मीठा-मीठा चम्-चम करता,
तेरी नदियों का पानी ।
ना जाने आज क्यों फिर से,
तुम्हारी याद आई है ॥
ना जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते हैं ।
ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की,
बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ।
ना मन हूँ, ना बुद्धि, ना चित अहंकार
ना जिव्या नयन नासिका करण द्वार