भक्तो का कल्याण करे रे,
मेरा शंकर भोला,
हर मुश्किल आसान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शम्भू भोला ॥
विष का प्याला पिने वाले,
नीलकंठ कहलाने वाले,
सबको अमृत दान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
हर मुश्किल आसान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शम्भू भोला ॥
तीसरा नेत्र जब भी खोले,
जल थल धरती अम्बर डोले,
दूर सबका अभिमान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
हर मुश्किल आसान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शम्भू भोला ॥
जटाजूट तन भस्म रमाए,
त्रिलोकी के नाथ कहाए,
नवयुग का निर्माण करे रे,
मेरा शंकर भोला,
हर मुश्किल आसान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शम्भू भोला ॥
भटके को शिव राह दिखाए,
हर संकट को दूर भगाए,
‘सितारा’ सुख परवान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
हर मुश्किल आसान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शम्भू भोला ॥
भक्तो का कल्याण करे रे,
मेरा शंकर भोला,
हर मुश्किल आसान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शम्भू भोला ॥
भगवान सूर्य की एक पत्नी जिसका नाम संज्ञादेवी था। इनकी दो संतानों में पुत्र यमराज और कन्या यमुना थी।
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण अपनी पत्नियों के साथ द्वारिका में निवास कर रहे थे।
एक समय की बात है एक जंगल में एक साहूकार रहता था। उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वो जल चढ़ाती थी उस पर पर मां लक्ष्मी का वास था।