बता दो कोई माँ के भवन की राह ॥
श्लोक – दिखा दो डगर रे,
कोई माँ का दर रे,
मन में है चाव दीदार का,
भूल गया हूँ मैं परदेसी,
मैं राही माँ के द्वार का ॥
बता दो कोई माँ के भवन की राह,
मैं भटका हुआ डगर से,
एहसान करो रे एक मुझपे,
बेटे को माँ से दो मिलाओ,
बता दो कोई माँ के भवन की राह ॥
भेज बुलावा माँ ने दर पे बुलाया,
नंगे पाँव मैं चल दर्शन को आया,
कठिन चढाई से भी ना घबराया,
भूल हुई क्या ये समझ ना पाया में,
भुला रस्ता ना संग सखा,
ऊपर से ये घनघोर घटा,
मुझको रही है डराय,
बता दो कोई माँ के भवन की राह ॥
कर किरपा दुखो ने मुझको घेरा,
कुछ सूझे ना छाया हर और अँधेरा,
माना बदियो में लगा रहा मन मेरा,
हूँ लाख बुरा पर माँ ये लख्खा तेरा,
माँ तेरे सिवा नहीं कोई मेरा,
फरियाद करूं मैं हाथ उठा,
कर भी दो माफ गुनाह,
बता दो कोई माँ के भवन की राह ॥
कुछ सुनना है माँ तुमसे कुछ कहना है,
बिना दरश के पल पल बरसे नैना है,
तेरे नाम के रंग में रंग के चोला पहना है,
सरल सदा ही चरणों में अब रहना है,
जब दर पे लिया ‘लख्खा’ को बुला,
कँवले की तरह मत भटका,
दरसन दिखाओ मेरी माँ,
बता दो कोई माँ के भवन की राह ॥
बता दो कोई माँ के भवन की राह,
मैं भटका हुआ डगर से,
एहसान करो रे एक मुझपे,
बेटे को माँ से दो मिलाओ,
बता दो कोई माँ के भवन की राह ॥
सनातन धर्म में रविवार के दिन सूर्य देवता की पूजा का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। ज्योतिषों के अनुसार भगवान सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है।
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है, खासकर जब यह तिथि वैशाख माह में आती है। वैशाख अमावस्या को पितृ दोष के निवारण के लिए अत्यंत शुभ समय माना गया है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख अमावस्या वैशाख मास की अंतिम तिथि है, जिसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना गया है। यह दिन पितरों की शांति, पितृ दोष के निवारण, सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए बेहद लाभदायक तिथि माना जाता है।
हिंदू धर्म में वैशाख माह की अमावस्या तिथि विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। यह दिन पितरों को स्मरण करने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए अत्यंत शुभ होता है।