बांके बिहारी रे दूर करो दुख मेरा,
दूर करो दुख मेरा, बिहारी जी,
श्री बांके बिहारी रे दूर करो दुख मेरा ॥
सुना है जो तेरे दर पे आए,
उसके सब दुखड़े मिट जाए,
आया शरण तिहारी रे,
आया शरण तिहारी रे,
अब दूर करो दुख मेरा,
श्री बांके बिहारी रे दूर करो दुख मेरा ॥
जनम जनम का मैं हूँ भटका ,
बेड़ा आज भवर में अटका,
पार करो बनवारी रे,
अब दूर करो दुख मेरा,
श्री बांके बिहारी रे दूर करो दुख मेरा ॥
शबरी अहिल्या गणिका नारी,
सब ही तुमने पार उतारी,
आयी मेरी बारी रे,
अब दूर करो दुख मेरा,
श्री बांके बिहारी रे दूर करो दुख मेरा ॥
मोर मुकुट पीताम्बर धारी,
संग में हो श्री राधा प्यारी,
मेरे गिरवर धारी रे,
अब दूर करो दुख मेरा,
श्री बांके बिहारी रे दूर करो दुख मेरा ॥
बांके बिहारी रे दूर करो दुख मेरा,
दूर करो दुख मेरा, बिहारी जी,
श्री बांके बिहारी रे दूर करो दुख मेरा ॥
धनतेरस पर विभिन्न वस्तुओं की खरीदी का रिवाज है। इस शुभ दिन पर खरीदारी करने की परंपरा धनतेरस की पौराणिक मान्यता के साथ ही आरंभ हुई है।
छोटी दिवाली अमावस्या के एक दिन पहले यानी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।
दिवाली से ठीक एक दिन पहले यानी 30 अक्टूबर को छोटी दिवाली मनाई जाएगी। जिसे नरक चतुर्दशी, यम दिवाली, काली चौदस या रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
छोटी दिवाली के दिन मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण, मां काली और यमराज की पूजा करने का विधान है। इस दिन संध्या के समय यमराज को दीप अर्पित किया जाता है।