बांके बिहारी लाल,
तेरी जय होवे,
भक्तन के रखपाल,
तेरी जय होवे,
जय होवे तेरी जय होवे,
जय होवे तेरी जय होवे,
बाँके बिहारी लाल,
तेरी जय होवे ॥
चारों वेद तेरा जस गावे,
नेती नेती सदा पुकारे,
फिर भी ना पावे पार,
तेरी जय होवे,
बाँके बिहारी लाल,
तेरी जय होवे ॥
दुःख संकट के तुम रखवारे,
भक्तन की आँखों के तारे,
दूर करो अंधकार,
तेरी जय होवे,
बाँके बिहारी लाल,
तेरी जय होवे ॥
हम दुखियारे द्वार तिहारे,
रेन दिना यह विनय पुकारे,
करे भव सागर से पार,
तेरी जय होवे,
बाँके बिहारी लाल,
तेरी जय होवे ॥
हम पागल है दुनिया वाले,
स्वार्थ के है सब मतवाले,
अब तो आकर थाम,
तेरी जय होवे,
बाँके बिहारी लाल,
तेरी जय होवे ॥
बांके बिहारी लाल,
तेरी जय होवे,
भक्तन के रखपाल,
तेरी जय होवे,
जय होवे तेरी जय होवे,
जय होवे तेरी जय होवे,
बाँके बिहारी लाल,
तेरी जय होवे ॥
हिंदू धर्म में विवाह को एक विशेष संस्कार माना गया है, जो 16 संस्कारों में से एक है। यह ना सिर्फ सामाजिक बंधन है, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है।
हिंदू धर्म में शादी केवल एक सामाजिक बंधन नहीं है। बल्कि, इसे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। विवाह को 16 संस्कारों में से एक प्रमुख संस्कार के रूप में गिना जाता है।
कुंभ मेला भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों में से एक है। यह आयोजन हिंदू धर्म की गहराई और आस्था का प्रतीक है, जिसमें लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर अपने पापों से मुक्ति की कामना करते हैं।
सनातन हिंदू धर्म में अग्नि को बेहद ही शुद्ध माना गया है। यही कारण है कि पूजा के अंत में जलती हुई आरती या दीपक की लौ को आराध्य देव के सामने एक विशेष विधि से घुमाया जाता है।