बांके बिहारी हमें भूल ना जाना,
जल्दी जल्दी वृन्दावन,
हमको बुलाना,
बांके बिहारी हमे भूल ना जाना ॥
जपते रहे हम नाम तुम्हारा,
छूटे कभी ना हमसे वृन्दावन प्यारा,
होता रहे तेरे दर पे आना जाना,
बांके बिहारी हमे भूल ना जाना ॥
भक्ति की ऐसी लगन लगा दो,
संतो की सेवा का भाव जगा दो,
हर वर्ष उत्सव अपना यूँ ही मनवाना,
बांके बिहारी हमे भूल ना जाना ॥
कथा कीर्तन से होता जीवन पवित्र,
साधन बताते यही ‘चित्र विचित्र’,
यूँ ही लुटाना अपनी किरपा का खजाना,
बांके बिहारी हमे भूल ना जाना ॥
बांके बिहारी हमें भूल ना जाना,
जल्दी जल्दी वृन्दावन,
हमको बुलाना,
बांके बिहारी हमे भूल ना जाना ॥
सनातन धर्म में भीष्म अष्टमी का विशेष महत्व माना गया है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ‘भीष्म अष्टमी’ कहा जाता है।
हर साल माघ महीने में भीष्म अष्टमी मनाई जाती है। इसे एकोदिष्ट श्राद्ध भी कहा जाता है। एकोदिष्ट श्राद्ध कोई भी व्यक्ति कर सकता है। एकोदिष्ट श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वेदों के रचयिता वेदव्यास जी ने महाभारत महाकाव्य की रचना की है। इस महाकाव्य में प्रमुख स्तंभ भीष्म पितामह को बताया गया है। हस्तिनापुर के राजा शांतनु का विवाह देवी गंगा से हुआ था।
मासिक कार्तिगाई एक विशेष हिंदू त्योहार है। यह मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। इस दिन दीप जलाने की परंपरा है। इस दिन खासकर घरों और मंदिरों में दीपक जलाया जाता है।