बालाजी तुम्हारे चरणों में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
प्रभु का चरणामृत लेने को,
है पास मेरे कोई पात्र नहीं,
प्रभु का चरणामृत लेने को,
है पास मेरे कोई पात्र नहीं,
आँखों के दोनों प्यालों से,
कुछ भीख मांगने आया हूँ,
बाला जी तुम्हारे चरणो में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
तुमसे लेकर क्या भेंट धरूँ,
बालाजी तुम्हारे चरणो में,
तुमसे लेकर क्या भेंट धरूँ,
बालाजी तुम्हारे चरणो में,
मैं सेवक हूँ तुम दाता हो,
संबंध बताने आया हूँ,
बाला जी तुम्हारे चरणो में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
सेवा की कोई वस्तु नहीं,
फिर भी मेरा साहस देखो,
सेवा की कोई वस्तु नहीं,
फिर भी मेरा साहस देखो,
रो रो कर आज आंसुओ का,
मैं हार चढाने आया हूँ,
बाला जी तुम्हारे चरणो में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
बालाजी तुम्हारे चरणों में,
मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥
संक्रांति मतलब सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना और इसका वृश्चिक राशि में प्रवेश वृश्चिक संक्रांति कहलाता है। यह दिन सूर्य देव की विशेष पूजा और दान करने के लिए शुभ है और व्यक्ति के भाग्योदय में होता है।
भगवान सूर्य देव की उपासना का दिन वृश्चिक संक्रांति हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहार में से एक है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को धन वैभव की प्राप्ति के साथ दुःखों से मुक्ति मिलती है। लेकिन क्या आपको पता है इस साल वृश्चिक संक्रांति कब हैं। वृश्चिक संक्रांति 2824 को लेकर थोड़ा असमंजस है।
हर संक्रांति में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इसे संक्रांति कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य भगवान की पूजा करने से धन और वैभव की प्राप्ति होती है
वृश्चिक संक्रांति पौराणिक कथाओं के अनुसार एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योंहार है। यह हिंदू संस्कृति में सौर दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान सूर्य जी की पूजा के लिए विशेष माना होता है। वृश्चिक संक्रांति के समय सूर्य उपासना के साथ ही मंगल ग्रह शांति एवं पूजा करने से मंगल ग्रह की कृपा होती है।