बालाजी मुझे अपने,
दर पे बुलाना,
दर्शन से नैनो की,
प्यास बुझाना,
बालाजी मुझे अपना,
दर्शन दिखाना,
बालाजी मुझें अपने,
दर पे बुलाना ॥
ह्रदय में तेरे सियाराम बसे है,
राम सिया का तू है दीवाना,
चरणों में तेरे बाला,
मेरा है ठिकाना,
बालाजी मुझें अपने,
दर पे बुलाना ॥
स्वर्ग से सुन्दर धाम है तेरा,
रामसिया की सेवा काम है तेरा,
राम का तू और तेरा,
जग है दीवाना,
बालाजी मुझें अपने,
दर पे बुलाना ॥
बालाजी मुझे अपने,
दर पे बुलाना,
दर्शन से नैनो की,
प्यास बुझाना,
बालाजी मुझे अपना,
दर्शन दिखाना,
बालाजी मुझें अपने,
दर पे बुलाना ॥
सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ व्रत कथा का पाठ करना भी अनिवार्य माना जाता है। ऐसा करने से व्रतधारी को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके जीवन से सभी संकट दूर हो जाते हैं।
सनातन हिन्दू धर्म में कालाष्टमी का काफी महत्व होता है। कालाष्टमी भगवान काल भैरव को समर्पित होता है। इस दिन काल भैरव के पूजन से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। ये पर्व हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
सनातन हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि साल की पहली संकष्टी चतुर्थी लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जानी जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से भगवान गणेश जी और सकट माता की पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध है।
सनातन हिंदू धर्म में, कालाष्टमी का पर्व शक्ति, साहस, भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के भैरव स्वरूप की उपासना करने से जातक के जीवन के सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं।