बजरंगी सरकार, द्वार तेरे आए (Bajrangi Sarkar, Dwar Tere Aaye)

बजरंगी सरकार,

द्वार तेरे आए,

द्वार तेरे आए,

दरश तेरा पाए,

विनती करो स्वीकार,

द्वार तेरे आए,

बजरँगी सरकार,

द्वार तेरे आए ॥


बाला तेरी महिमा का,

नहीं कोई पार,

पूजा तेरी करता है,

सब संसार,

भक्तो का करते बेड़ा पार,

द्वार तेरे आए,

बजरँगी सरकार,

द्वार तेरे आए ॥


पापों का संहार करे,

भक्तो का उद्धार,

जो गाता है महिमा तेरी,

उसका तू रखवाल,

करते है विनती हजार,

द्वार तेरे आए,

बजरँगी सरकार,

द्वार तेरे आए ॥


पल में सुनते बाला अपने,

भक्तो की पुकार,

भूत प्रेत से पीछा छुटे,

आए जो भी द्वार,

‘हलचल’ करता तेरी जय जयकार,

द्वार तेरे आए,

बजरँगी सरकार,

द्वार तेरे आए ॥


बजरंगी सरकार,

द्वार तेरे आए,

द्वार तेरे आए,

दरश तेरा पाए,

विनती करो स्वीकार,

द्वार तेरे आए,

बजरँगी सरकार,

द्वार तेरे आए ॥

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कनकधारा स्तोत्रम् (Kanakdhara Stotram)

अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्तीभृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्।
अङ्गीकृताऽखिल-विभूतिरपाङ्गलीलामाङ्गल्यदाऽस्तु मम मङ्गळदेवतायाः॥1॥

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हिंदू धर्म में समय की गति के साथ-साथ आध्यात्मिक महत्व भी बदलता है। ऐसे ही हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने का अपना एक विशेष महत्व और उद्देश्य होता है।

श्री कुवेर चालीसा (Shree Kuveer Chalisa)

जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर ।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर ॥

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