बजरंगबली हनुमान,
तेरा जग में डंका बाज रया ॥
शंकर के तुम हो अवतारी,
महावीर तुम हो बलकारी,
तुमसा ना कोई बलवान,
तेरा जग में डंका बाज रया,
बजरंगबलीं हनुमान,
तेरा जग में डंका बाज रया ॥
तन पे तेरे लाल लंगोटा,
हाथ में तेरे मोटा सोटा,
तेरे रोम रोम में राम,
तेरा जग में डंका बाज रया,
बजरंगबलीं हनुमान,
तेरा जग में डंका बाज रया ॥
लंका को मिट्टी में मिलाया,
लंकापति को चक्कर आया,
रावण की घटाई शान,
तेरा जग में डंका बाज रया,
बजरंगबलीं हनुमान,
तेरा जग में डंका बाज रया ॥
जो भी तेरी शरण में आवे,
सियाराम को वो ही पावे,
यही ‘नरसी’ करे बखान,
तेरा जग में डंका बाज रया,
बजरंगबलीं हनुमान,
तेरा जग में डंका बाज रया ॥
बजरंगबली हनुमान,
तेरा जग में डंका बाज रया ॥
हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का विशेष महत्व है, और उनमें नौवां संस्कार है कर्णवेध। यह संस्कार बच्चे के कान छिदवाने का समय होता है, जो सामान्यतः 1 से 5 वर्ष की उम्र में किया जाता है।
हिंदू धर्म की समृद्ध परंपरा में "सोलह संस्कार" का महत्वपूर्ण स्थान है, जो जीवन के हर महत्वपूर्ण पड़ाव को दिशा देते हैं। इन संस्कारों में से एक है अन्नप्राशन, जब बच्चा पहली बार ठोस आहार का स्वाद लेता है।
क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली उपाय है? जी हां, हम बात कर रहे हैं प्रदोष व्रत की। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और इसका महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है।
सनातन धर्म में साधू-संतों का काफी महत्व है। साधु-संत भौतिक सुखों को त्यागकर सत्य व धर्म के मार्ग पर चलते हैं। इसके साथ ही उनकी वेशभूषा और खान-पान आम लोगों से बिल्कुल भिन्न होती है। उनको ईश्वर की प्राप्ति का माध्यम माना जाता है। साधू-संत आमतौर पर पीला, केसरिया अथवा लाल रंगों के वस्त्र धारण करते हैं।