बजरंग के आते आते कही भोर हो न जाये रे (Bajrang Ke Aate 2 Kahin Bhor Ho Na Jaye Re)

श्री हनुमान जन्मोत्सव, मंगलवार व्रत, शनिवार पूजा, बूढ़े मंगलवार, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से गाये जाने वाला भजन।


बजरंग के आते आते,

कही भोर हो न जाये रे,

ये राम सोचते हैं,

श्री राम सोचते हैं ।


क्या भोर होते होते,

बजरंग आ सकेंगे,

लक्ष्मण को नया जीवन,

फिर से दिला सकेंगे ।

कही सास की ये डोरी,

कमजोर हो न जाये रे,

ये राम सोचते हैं,

श्री राम सोचते हैं ॥

बजरंग के आते आते...॥


कैसे कहूँगा जा के,

मारा गया है लक्ष्मण,

तज देगी प्राण सुन के,

माता सुमित्रा फ़ौरन ।

कहीं यह कलंक मुझसे,

इक और हो ना जाए रे,

ये राम सोचते हैं,

श्री राम सोचते हैं ॥

बजरंग के आते आते...॥


लक्ष्मण बिना है टूटा,

यह दांया हाथ मेरा,

कुछ सूझता नहीं है,

चारो तरफ अँधेरा ।

लंका में कहीं घर घर,

ये शोर हो ना जाये रे

ये राम सोचते हैं,

श्री राम सोचते हैं ॥

बजरंग के आते आते...॥


वर्ना अटल है शर्मा,

मेरी बात ना टलेगी,

लक्ष्मण के साथ मेरी,

लख्खा चिता जलेगी ।

मैं सोचता तो कुछ हूँ,

कुछ और हो न जाये रे,

ये राम सोचते हैं,

श्री राम सोचते हैं॥

बजरंग के आते आते...॥


बजरंग के आते आते,

कही भोर हो न जाये रे,

ये राम सोचते हैं,

श्री राम सोचते हैं ।


........................................................................................................
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र (Gajendr Moksh Stotr )

एवं व्यवसितो बुद्ध्या समाधाय मनो हृदि।

अब किसी महफिल में जाने (Ab Kisi Mehfil Me )

अब किसी महफिल में जाने,
की हमें फुर्सत नहीं,

मैय्या का चोला है रंगला

हो, लाली मेरी मात की, जित देखूँ तित लाल
लाली देखन मैं गया, मैं भी हो ग्या लाल

उनके हाथों में लग जाए ताला (Unke Hato Me Lag Jaye Tala)

उनके हाथों में लग जाए ताला, अलीगढ़ वाला।
सवा मन वाला, जो मैय्या जी की ताली न बजाए।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।