बजरंग बलि बाबा तेरी महिमा गाते है,
नही संग कुछ लाये है, एक भजन सुनाते है,
सालासर के बाबा तेरी महिमा गाते है ॥
तुझे समझ के बल वीरा एक विनती सुनते है,
तेरे दर पे आकर हम तेरे गुणगान गाते है,
सुनकर बैठे रहते पर हम तड़पाते है,
सालासर के बाबा तेरी महिमा गाते है ॥
अभिमानी रावण की लंका को जलाये तुम,
सीता की खबर लाये लक्ष्मण को बचाये तुम,
सीता की खबर लाये राम के भक्त कहाये तुम,
सालासर के बाबा तेरी महिमा गाते है ॥
क्यों भूल गए बजरंग एक तेरा सहारा है,
जीवन की नैया का नहीं और किनारा है,
बिगड़ी को बना बाबा तेरी रात जगाते है,
मेहंदीपुर के बाबा तेरी महिमा गाते है ॥
बजरंग बलि बाबा तेरी महिमा गाते है,
नही संग कुछ लाये है, एक भजन सुनाते है
सालासर के बाबा तेरी महिमा गाते है ॥
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की अमावस्या तिथि का विशेष धार्मिक महत्व है। यह तिथि पितरों की शांति के लिए विशेष मानी जाती है और इस दिन स्नान, दान, जप, और तर्पण करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
परशुराम जयंती सनातन धर्म के एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
सनातन धर्म के परंपरा में अन्वाधान और इष्टि जैसे पर्व का विशेष महत्व है। ये दोनों वैष्णव संप्रदाय से जुड़े श्रद्धालुओं के अनुष्ठान हैं जो विशेष रूप से अमावस्या, पूर्णिमा और शुभ मुहूर्तों पर किए जाते हैं।
भगवान परशुराम, जिन्हें भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में पूजा जाता है, वह पौराणिक कथाओं में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और अत्यधिक चर्चित व्यक्ति हैं।