बाबा मुझे ये तो बता,
कोई इतना भी देता है क्या,
दिया तूने जितना,
तूने बना दी है औकात,
बाबा थाम के मेरा हाथ,
दिया तूने जितना,
दिया तूने जितना,
बाबा मुझें ये तो बता,
कोई इतना भी देता है क्या,
दिया तूने जितना ॥
जितना मैं परेशां था,
उतना तू मेहरबां था,
हर इक क़दमों का मेरे,
बाबा तू निगेहबाँ था,
आने ना दी कोई आंच,
तूने बना दी मेरी बात,
दिया तूने इतना,
तूने बना दी है औकात,
बाबा थाम के मेरा हाथ,
दिया तूने जितना ॥
जो तुझसे मिला है मुझे,
क्या दे पाऊंगा तुझे,
तूने ही जलाए है,
दीपक जो थे मेरे बुझे,
जीवन में उजाला तू,
मेरा रखवाला तू,
दिया तूने इतना,
तूने बना दी है औकात,
बाबा थाम के मेरा हाथ,
दिया तूने जितना ॥
बाबा है दानी तू,
और मैं अज्ञानी हूँ,
बदले दुनिया सारी,
बाबा ना बदलना तू,
रहे कृपा का सर पे हाथ,
भूलूँ ना कभी मैं ये बात,
दिया तूने इतना,
तूने बना दी है औकात,
बाबा थाम के मेरा हाथ,
दिया तूने जितना ॥
बाबा मुझे ये तो बता,
कोई इतना भी देता है क्या,
दिया तूने जितना,
तूने बना दी है औकात,
बाबा थाम के मेरा हाथ,
दिया तूने जितना,
दिया तूने जितना,
बाबा मुझें ये तो बता,
कोई इतना भी देता है क्या,
दिया तूने जितना ॥
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित विश्व के सबसे बड़े धार्मिक मेले, महाकुंभ ने एक बार फिर से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। इस मेले में देश-विदेश से आए साधु-संतों की भारी भीड़ ने इस पवित्र नगरी को और भी पवित्र बना दिया है।
कुंभ भारतीय वैदिक-पौराणिक मान्यता का महापर्व है। महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी 2025 को प्रयागराज में पौष पूर्णिमा स्नान से होने वाली है और यह 26 फरवरी तक चलेगा। महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है।
सनातन धर्म में कुंभ मेले का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। मान्यता है कि करोड़ों वर्ष पूर्व देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जो अमृत कुंभ निकला था, उसके अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिर गई थीं।
13 जनवरी 2025 से महाकुंभ की शुरुआत हो रही है। महाकुंभ न केवल भारत में प्रसिद्ध है बल्कि विदेशों में भी इसका आकर्षण देखने को मिलता है। इस बार महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में हो रहा है।