बाबा महाकाल तेरा,
सारा जग दीवाना है,
मैं भी दर पे आया हूँ,
छोड़कर जमाना है ॥
दर्श मुझको दे देना,
आस ये लगी दिल में,
दर्श मैंने माँगा है,
माँगा ना खजाना है,
बाबा महांकाल तेरा,
सारा जग दीवाना है ॥
बाबा तीनो लोको में,
तेरा लोक है भारी,
महाकाल लोक तेरा,
सबसे सुहाना है,
बाबा महांकाल तेरा,
सारा जग दीवाना है ॥
आके तेरी चौखट पे,
‘प्रेमी’ हो गया पागल,
महाकाल मंदिर में,
अब मेरा ठिकाना है,
बाबा महांकाल तेरा,
सारा जग दीवाना है ॥
बाबा महाकाल तेरा,
सारा जग दीवाना है,
मैं भी दर पे आया हूँ,
छोड़कर जमाना है ॥
ब्रह्माजी ने कहा कि हे मनिश्रेष्ठ ! गंगाजी तभई तक पाप नाशिनी हैं जब तक प्रबोधिनी एकादशी नहीं आती। तीर्थ और देव स्थान भी तभी तक पुण्यस्थल कहे जाते हैं जब तक प्रबोधिनी का व्रत नहीं किया जाता।
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती, ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥