बाबा बैद्यनाथ हम आयल छी भिखरिया,
अहाँ के दुअरिया ना,
बाबा बैद्यनाथ हम आयल छी,
भिखरिया अहाँ के दुअरिया ना ॥
अइलों बड़ बड़ आस लगायल,
होहियो हमरा पर सहाय,
अइलों बड़ बड़ आस लगायल,
होहियो हमरा पर सहाय,
एक बेरी फेरी दियौ,
हो एक बेरी फेरी दियौ,
गरीब पर नजरिया,
अहाँ के दुअरिआ ना ॥
हम बाघम्बर झारी ओछायब,
डोरी डमरू के सरियाएब,
हम बाघम्बर झारी ओछायब,
डोरी डमरू के सरियाएब,
कखनो झारी बुहराब,
हो कखनो झारी बुहराब,
बसहा के डगरिया,
अहाँ के दुअरिया ना ॥
हम गंगाजल भरी भरी लायब,
बाबा बैजू के चढ़ायब,
हम गंगाजल भरी भरी लायब,
बाबा बैजू के चढ़ायब,
बेलपत चन्दन हो बेलपत चन्दन,
चढ़ायब फूल केसरिया,
अहाँ के दुअरिया ना ॥
कतेक अधम के अहाँ तारलों,
कतेक पतित के उबारलों,
कतेक अधम के अहाँ तारलों,
कतेक पतित के उबारलों,
बाबा एक बेर फेरी दियौ,
हमरो पर नजरिया, अहाँ के दुअरिया ना,
बाबा बैद्यनाथ हम आयल छी,
भिखरिया अहाँ के दुअरिया ना ॥
वैदिक काल से राष्ट्र या देश के लिए गाई जाने वाली राष्ट्रोत्थान प्रार्थना है। इस काव्य को वैदिक राष्ट्रगान भी कहा जा सकता है। आज भी यह प्रार्थना भारत के विभिन्न गुरुकुलों व स्कूल मे गाई जाती है।
ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे
इतनी विनय हमारी, वृन्दा-विपिन बसा ले
वैदिक पंचाग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह में कृष्ण जन्माष्टमी आज यानी 22 नवंबर 2024 को मनाई जा रही है। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने और जीवन के दुखों को दूर करने का श्रेष्ठ अवसर है।
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया ।