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अपने लाला की सुन लो शिकायत जो बताने के काबिल नहीं है (Apne Lala Ki Sun Lo Shikayat Jo Batane Ke Kabil Nahin Hai)

अपने लाला की सुन लो शिकायत जो बताने के काबिल नहीं है (Apne Lala Ki Sun Lo Shikayat Jo Batane Ke Kabil Nahin Hai)

महाकाल बाबा उज्जैन वाले,

जीवन मेरा तेरे हवाले,

दर दर भटका पड़ गए छाले,

मुझको तू उज्जैन बुलाले,

मैं तो ना जाऊँ किसी दर पे,

तू बुलाले बुलाले बुलाले तू बुलाले,

अपने दरबार में तू बुलाले,

तू बुलाले बुलाले बुलाले तू बुलाले,

अपने दरबार में तू बुलालें ॥


साँचा दरबार है करलो दीदार है,

बेल पत्री तू आके चढ़ा दे,

तेरी झोली भरे हाथ सर पर धरे,

बात दिल की तू इनको सुना दे,

सब भक्तो का काम किया है,

किस्मत से भी ज्यादा दिया है,

मैं तो ना जाऊँ किसी दर पे,

तू बुलाले बुलाले बुलाले तू बुलाले,

अपने दरबार में तू बुलालें ॥


ये दयावान है ऐसे भगवान है,

तीनो लोको में इन सा ना दानी,

देव के देव है ये महादेव है,

इनकी ताकत को सबने है मानी,

इनके चरण का हो जा दीवाना,

मिल जाएगा तुझको ठिकाना,

मैं तो ना जाऊँ किसी दर पे,

तू बुलाले बुलाले बुलाले तू बुलाले,

अपने दरबार में तू बुलालें ॥


सुनो उज्जैन के वासी,

काट दो यम की अब फांसी,

तुम्हारा नाम गाता हूँ,

तुम्हे हर पल मनाता हूँ,

बैठ नंदी पर अब आओ,

साथ में गौरा को लाओ,

‘प्रेमी’ की झोलिया भरना,

आज देरी नही करना,

तू बुलाले बुलाले बुलाले तू बुलाले,

अपने दरबार में तू बुलालें ॥


महाकाल बाबा उज्जैन वाले,

जीवन मेरा तेरे हवाले,

दर दर भटका पड़ गए छाले,

मुझको तू उज्जैन बुलाले,

मैं तो ना जाऊँ किसी दर पे,

तू बुलाले बुलाले बुलाले तू बुलाले,

अपने दरबार में तू बुलाले,

तू बुलाले बुलाले बुलाले तू बुलाले,

अपने दरबार में तू बुलालें ॥

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जया एकादशी चालीसा का पाठ

माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिवत रूप से करने से व्यक्ति को उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है।

थाईपुसम त्योहार कब है

थाईपुसम त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधकार पर प्रकाश की जीत और अज्ञानता पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है। भक्तजन जीवन की बाधाओं को पार करने के लिए मार्गदर्शन पाने के लिए मुरुगन से प्रार्थना करते हैं।

रवि प्रदोष व्रत शाम में पूजा

हिंदू धर्म में अनेक तीथियां जो बेहद पावन मानी गई है उनमें से ही एक है त्रयोदशी तिथि। यह तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है। इस दिन साधक प्रदोष व्रत रखते हैं।

प्रदोष व्रत के फायदे

प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। इसलिए, इसे त्रयोदशी के नाम से भी जानते हैं। प्रत्येक महीने में दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है।

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