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ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन (Aisi Lagi Lagan, Meera Ho Gai Magan)

ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन (Aisi Lagi Lagan, Meera Ho Gai Magan)

ऐसी लागी लगन,

मीरा हो गयी मगन,

वो तो गली गली,

हरी गुण गाने लगी ॥


है आँख वो जो,

श्याम का दर्शन किया करे,

है शीश जो प्रभु चरण में,

वंदन किया करे,

बेकार वो मुख है,

जो रहे व्यर्थ बातों में,

मुख है वो जो हरी नाम का,

सुमिरन किया करे ॥


हीरे मोती से नहीं,

शोभा है हाथ की,

है हाथ जो भगवान का,

पुजन किया करे,

मर कर भी अमर नाम है,

उस जीव का जग में,

प्रभु प्रेम में बलिदान जो,

जीवन किया करे ॥


ऐसी लागी लगन,

मीरा हो गयी मगन,

वो तो गली गली,

हरी गुण गाने लगी,

महलों में पली,

बन के जोगन चली,

मीरा रानी दीवानी कहाने लगी,

ऐंसी लागी लगन,

मीरा हो गयी मगन। ॥


कोई रोके नहीं, कोई टोके नहीं,

मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी,

बैठ संतो के संग,

रंगी मोहन के रंग,

मीरा प्रेमी प्रीतम को मनाने लगी,

वो तो गली गली,

हरी गुण गाने लगी,

ऐंसी लागी लगन,

मीरा हो गयी मगन ॥


राणा ने विष दिया, मानो अमृत पिया,

मीरा सागर में सरिता समाने लगी,

दुःख लाखों सहे, मुख से गोविन्द कहे,

मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी,

वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी ॥


ऐसी लागी लगन,

मीरा हो गयी मगन,

वो तो गली गली,

हरी गुण गाने लगी ॥

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फाल्गुन महीने में व्रत-त्योहार

फाल्गुन’ हिंदू पंचांग का अंतिम महीना है जिसके बाद हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। फाल्गुन को हर्ष और उल्लास का महीना माना जाता है। जॉर्जियन कैलेंडर के अनुसार यह महीना फरवरी और मार्च को में पड़ता है।

14 फरवरी 2025 का पंचांग

आज इस पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। वहीं आज शुक्रवार का दिन है। इस तिथि पर अतिगण्ड और सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। वहीं आज चंद्रमा सिंह राशि में मौजूद हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं।

महाकुंभ के बाद नागा साधु कहां जाते हैं

कुंभ जैसे विशेष अवसरों पर दिखने वाले नागा साधु कुंभ समाप्त होते ही अचानक कहां गायब हो जाते हैं? यह एक रहस्यमयी प्रश्न है। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान तीनों अमृत स्नान पूरे हो चुके हैं, और अब अखाड़ों का खाली होना शुरू हो गया है।

अगला कुंभ कहां और कब लगेगा?

महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 साल में चार पवित्र स्थलों - हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। यह आयोजन समुद्र मंथन से जुड़ी पौराणिक कथा पर आधारित है।

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