ऐसा दरबार कहाँ,
ऐसा दातार कहाँ,
ढूंढी सारी ये दुनिया,
ऐसी सरकार कहाँ ॥
मुझे अपना बना के,
अहसान कर दिया है,
मुझको गले लगा के,
बाबा सारी दुनिया में,
तेरे जैसा प्यार कहाँ,
ढूंढी सारी ये दुनिया,
ऐसी सरकार कहाँ ॥
मेरी नजर के आगे,
हर काम हो रहा है,
तकलीफ मिट गई है,
आराम हो गया है,
बाबा सब काम करे,
यहाँ इनकार कहाँ,
ढूंढी सारी ये दुनिया,
ऐसी सरकार कहाँ ॥
सबकी है क्या जरुरत,
बस एक को मना लो,
भक्तो तुम अपना साथी,
भूतनाथ को बना लो,
और किसी की भी,
फिर दरकार कहाँ,
ढूंढी सारी ये दुनिया,
ऐसी सरकार कहाँ ॥
ऐसा दरबार कहाँ,
ऐसा दातार कहाँ,
ढूंढी सारी ये दुनिया,
ऐसी सरकार कहाँ ॥
हिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी को अत्यंत शुभ और पुण्यकारी माना गया है। यह पर्व हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस वर्ष मोक्षदा एकादशी 11 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी।
मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का विशेष संबंध सनातन धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। मोक्षदा एकादशी, मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मनाई जाती है।
हिन्दू धर्म में एकादशी और प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। ये व्रत धार्मिक श्रद्धा, मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ के लिए किए जाते हैं।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। यह व्रत हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। भगवान शिव की साधना करने वाले साधक को पृथ्वी लोक के सभी सुख प्राप्त होते हैं और मृत्यु उपरांत उच्च लोक में स्थान मिलता है।