ऐसा दरबार कहाँ, ऐसा दातार कहाँ (Aisa Darbar Kahan Aisa Datar Kaha)

ऐसा दरबार कहाँ,

ऐसा दातार कहाँ,

ढूंढी सारी ये दुनिया,

ऐसी सरकार कहाँ ॥


मुझे अपना बना के,

अहसान कर दिया है,

मुझको गले लगा के,

बाबा सारी दुनिया में,

तेरे जैसा प्यार कहाँ,

ढूंढी सारी ये दुनिया,

ऐसी सरकार कहाँ ॥


मेरी नजर के आगे,

हर काम हो रहा है,

तकलीफ मिट गई है,

आराम हो गया है,

बाबा सब काम करे,

यहाँ इनकार कहाँ,

ढूंढी सारी ये दुनिया,

ऐसी सरकार कहाँ ॥


सबकी है क्या जरुरत,

बस एक को मना लो,

भक्तो तुम अपना साथी,

भूतनाथ को बना लो,

और किसी की भी,

फिर दरकार कहाँ,

ढूंढी सारी ये दुनिया,

ऐसी सरकार कहाँ ॥


ऐसा दरबार कहाँ,

ऐसा दातार कहाँ,

ढूंढी सारी ये दुनिया,

ऐसी सरकार कहाँ ॥

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श्री नर्मदा चालीसा (Shri Narmada Chalisa)

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

राम सिया राम, सिया राम जय जय राम (Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram)

राम सिया राम सिया राम,
जय जय राम,

आरती श्रीमद भगवद गीता की (Aarti Shrimad Bhagavad Geeta Ki)

जय भगवद् गीते, माता जय भगवद् गीते।
हरि हिय कमल विहारिणि, सुन्दर सुपुनीते॥

श्री कुवेर चालीसा (Shree Kuveer Chalisa)

जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर ।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर ॥

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