अब मैं सरण तिहारी जी,
मोहि राखौ कृपा निधान ॥
अजामील अपराधी तारे,
तारे नीच सदान ।
जल डूबत गजराज उबारे,
गणिका चढी बिमान ॥
अब मैं सरण तिहारी जी,
मोहि राखौ कृपा निधान ॥
और अधम तारे बहुतेरे,
भाखत संत सुजान ।
कुबजा नीच भीलणी तारी,
जागे सकल जहान ॥
अब मैं सरण तिहारी जी,
मोहि राखौ कृपा निधान ॥
कहँ लग कहूँ गिणत नहिं आवै,
थकि रहे बेद पुरान ।
मीरा दासी शरण तिहारी,
सुनिये दोनों कान ॥
अब मैं सरण तिहारी जी,
मोहि राखौ कृपा निधान ॥
अब मैं शरण तिहारी जी,
मोहि राखौ कृपा निधान ॥
हिंदू पंचांग के अनुसार, वृषभ संक्रांति एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है, जब सूर्य देव एक राशि से निकलकर अगली राशि में प्रवेश करते हैं। वृषभ संक्रांति उस दिन को कहा जाता है जब सूर्य मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं।
प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।
हनुमान जयंती का पर्व भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसे विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और दक्षिण भारत के अन्य क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है। हनुमान जी के जन्म की कई कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन तेलुगु समाज में इसे वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को मनाने की परंपरा है।
हिंदू धर्म में कालाष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। यह दिन भगवान काल भैरव की पूजा के रूप में मनाया जाता है।