आयो फागण को त्यौहार (Aayo Fagan Ko Tyohar)

आयो फागण को त्यौहार,

नाचे ठुमक ठुमक दातार,

सागे नाचे श्याम को लिलो,

छम छम भक्ता की भरमार,

आयो रंगीलो फागणियो,

सज के बैठ्यो है सांवरियो,

म्हारो लखदातार ॥


ज्यो फागण निडे आवे,

म्हाने कुछ भी नहीं सुहावे,

आंख्या में नींदड़ली घुल घुल बाबा,

पाछी ही उड़ जावे,

आयो रंगीलो फागणियो,

सज के बैठ्यो है सांवरियो,

म्हारो लखदातार ॥


इत्तर की खुशबु भारी,

खाटू का श्याम बिहारी,

तेरो रूप सलोनो देख सांवरा,

जाऊं मैं बलिहारी,

आयो रंगीलो फागणियो,

सज के बैठ्यो है सांवरियो,

म्हारो लखदातार ॥


सेवक दूर दूर से आवे,

फागण में रह नहीं पावे,

पाछा जाता मुड़ मुड़ देख थाने,

म्हारो मन घबरावे,

आयो रंगीलो फागणियो,

सज के बैठ्यो है सांवरियो,

म्हारो लखदातार ॥


कोई रंग गुलाल उड़ावे,

संग चंग धमाल मचावे,

माहि के संग होली खेल सांवरो,

सांचो प्रेम लुटावे,

आयो रंगीलो फागणियो,

सज के बैठ्यो है सांवरियो,

म्हारो लखदातार ॥


आयो फागण को त्यौहार,

नाचे ठुमक ठुमक दातार,

सागे नाचे श्याम को लिलो,

छम छम भक्ता की भरमार,

आयो रंगीलो फागणियो,

सज के बैठ्यो है सांवरियो,

म्हारो लखदातार ॥

........................................................................................................
मैया आरासुरी करजो आशा पूरी (Maiya Aarasuri Kar Jo Aasha Puri)

मैया आरासुरी करजो आशा पूरी म्हारी अम्बे,
हूँ तो विनती करूँ जगदम्बे,

सफला एकादशी व्रत कैसे करें

साल में 24 एकादशी का व्रत रखा जाता है। ये सभी भगवान विष्णु को समर्पित होते है। एकादशी व्रत हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर रखा जाता है, जो प्रत्येक माह में दो बार आती है।

26 या 27 नवंबर, कब है उत्पन्ना एकादशी?

उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।

श्री गणेश स्तोत्रम्

कैलाशपर्वते रम्ये शम्भुं चन्द्रार्धशेखरम्।
षडाम्नायसमायुक्तं पप्रच्छ नगकन्यका॥

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने