दिल से जयकारा बोलो,
संकट में कभी ना डोलो,
पकड़ेगा तेरा हाथ,
सांवरा बढ़ करके,
आएगा मेरा श्याम,
लीले चढ़ करके,
लीले चढ़ करके,
ओ लीले चढ़ करके,
आयेगा मेरा श्याम,
लीले चढ़ करके ॥
मेरे श्याम का एक जयकारा,
कितनो को पार उतारा,
दिल से जब कोई पुकारा,
हारे का बना सहारा,
करता भक्तों की रखवाली,
अड़ कर के,
आयेगा मेरा श्याम,
लीले चढ़ करके ॥
कलयुग का देव निराला,
मेरा बाबा खाटू वाला,
है देव बड़ा दिलवाला,
खोले किस्मत का ताला,
तोड़ दे कड़की का,
ये ताला कड करके,
आयेगा मेरा श्याम,
लीले चढ़ करके ॥
चल बन जा श्याम दीवाना,
ये जाने प्रीत निभाना,
हीरे मोती से ना भरमाना,
दो भक्ति के फूल चढ़ाना,
कभी बुलाना ना तू,
‘रोमी’ अकड़ करके,
आयेगा मेरा श्याम,
लीले चढ़ करके ॥
दिल से जयकारा बोलो,
संकट में कभी ना डोलो,
पकड़ेगा तेरा हाथ,
सांवरा बढ़ करके,
आएगा मेरा श्याम,
लीले चढ़ करके,
लीले चढ़ करके,
ओ लीले चढ़ करके,
आयेगा मेरा श्याम,
लीले चढ़ करके ॥
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। वहीं आज सोमवार का दिन है। इस तिथि पर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। वहीं आज चंद्रमा धनु राशि में मौजूद हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं।
महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी को हुई थी। इस महापर्व में हिस्सा लेने के लिए देश भर से नागा साधु और संतों के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए थे। इस दौरान संगम में आस्था की डुबकी लगाकर सभी ने पुण्य फल प्राप्त किए। अब जल्द ही महाकुंभ मेले का समापन होने वाला है और महाशिवरात्रि के दिन अंतिम महास्नान किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 14 जनवरी, मकर संक्रांति के अवसर पर पहला अमृत स्नान किया गया था।
26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन महाकुंभ स्नान के लिए करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की संभावना है। यह दिन महाकुंभ का अंतिम स्नान और महाशिवरात्रि का पावन पर्व भी है, जिससे आस्था का यह संगम और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
प्रयागराज में महाकुंभ मेले का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा और इसी दिन महाकुंभ का अंतिम स्नान भी किया जाएगा। इस बार महाशिवरात्रि पर कुछ विशेष संयोग बन रहे हैं।