आओ विनायक म्हारे, आंगणिये पधारो (Aao Vinayak Mhare Aanganiye Padharo)

आओ विनायक म्हारे,

आंगणिये पधारो,

भक्ता रा कारज सारो जी,

हाँ संवारो जी,

आओं विनायक म्हारे,

आंगणिये पधारो ॥


मूषक रा असवार देवा,

पहला थारो ध्यान धरा,

कीर्तन मांड्यो आंगणे,

बाबा थारो अह्वान करा,

रिद्धि सिद्धि के सागे,

आओ जी,

म्हारे आंगणिये पधारो,

आओं विनायक म्हारे,

आंगणिये पधारो ॥


घृत सिंदूर चढ़ावा थारे,

लड्डुवन भोग लगावा जी,

चन्दन चौक पुरावा ऊँचे,

आसन पे बिठावा जी,

रणत भवन सुथे आवो जी,

म्हारे आंगणिये पधारो,

आओं विनायक म्हारे,

आंगणिये पधारो ॥


पहली पत्रिका भेजी थाने,

बेगा सा थे आओ जी,

आप भी आओ सब देवा ने,

सागे अपने ल्याओ जी,

भगता रा मान बढ़ाओ जी,

म्हारे आंगणिये पधारो,

आओं विनायक म्हारे,

आंगणिये पधारो ॥


आओ विनायक म्हारे,

आंगणिये पधारो,

भक्ता रा कारज सारो जी,

हाँ संवारो जी,

आओं विनायक म्हारे,

आंगणिये पधारो ॥

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पापंकुशा एकादशी 2024: व्रत की विधि और तिथि, किसकी होती है पूजा

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दर्श करा दे मेरे सांवरे, म्हारे नैना हुए बावरे(Darsh Kara De Mere Sanware Mhare Naina Huye Baware)

दर्श करा दे मेरे सांवरे,
म्हारे नैना हुए बावरे,

करवा चौथ व्रत कथा (Karva Chauth Vrat Katha)

एक साहूकार था जिसके सात बेटे और एक बेटी थी। सातों भाई व बहन एक साथ बैठकर भोजन करते थे। एक दिन कार्तिक की चौथ का व्रत आया तो भाई बोला कि बहन आओ भोजन करें।

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