आजा भक्तो की सुनके पुकार, ओ मरघट वाले बाबा जी (Aaja Bhakto Ki Sun Ke Pukar O Marghat Wale Baba Ji)

आजा भक्तो की सुनके पुकार,

ओ मरघट वाले बाबा जी,

रोज करते है तेरा इंतजार,

ओ मरघट वाले बाबा जी,

आजा भक्तों की सुनके पुकार,

ओ मरघट वाले बाबा जी ॥


मिल जाए जो तेरा सहारा,

कट जाएगा कष्ट हमारा,

लिए बैठे है फूलों के हार,

लिए बैठे है फूलों के हार,

ओ मरघट वाले बाबा जी,

आजा भक्तों की सुनके पुकार,

ओ मरघट वाले बाबा जी ॥


रस्ते में तेरे नैन बिछाए,

बैठे है हम आस लगाए,

और आएँगे मंगल शनिवार,

और आएँगे मंगल शनिवार,

ओ मरघट वाले बाबा जी,

आजा भक्तों की सुनके पुकार,

ओ मरघट वाले बाबा जी ॥


महिमा तेरी सबसे निराली,

द्वार पे तेरे आके सवाली,

तेरी आरती उतारे बारम्बार,

तेरी आरती उतारे बारम्बार,

ओ मरघट वाले बाबा जी,

आजा भक्तों की सुनके पुकार,

ओ मरघट वाले बाबा जी ॥


आजा भक्तो की सुनके पुकार,

ओ मरघट वाले बाबा जी,

रोज करते है तेरा इंतजार,

ओ मरघट वाले बाबा जी,

आजा भक्तों की सुनके पुकार,

ओ मरघट वाले बाबा जी ॥



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मेरे सतगुरु दीन दयाल(Mere Satguru Den Dayal)

मेरे सतगुरु दीन दयाल,
मैं तेरा नाम जपा करूं,

शबरी जंयती की पूजा विधि

शबरी जयंती सनातन धर्म में महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। हर साल माता शबरी के जन्मोत्सव के रूप में शबरी जयंती मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, शबरी जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है।

राम नाम को रटने वाले जरा सामने आओ(Ram Naam Ko Ratne Wale Jara Samne Aao)

राम नाम को रटने वाले
जरा सामने आओ तुम,

वरुथिनी एकादशी व्रत की कथा

हिंदू धर्म में एक वर्ष में कुल 24 एकादशियां आती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशेष महत्व होता है। इन्हीं में से एक है वरुथिनी एकादशी, जो वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।

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