आज राम मेरे घर आए (Aaj Ram Mere Ghar Aaye)

आज राम मेरे घर आए,

मेरे राम मेरे घर आए,

नी मैं उंचिया भागा वाली,

मेरी कुटिया दे भाग जगाए,

आज राम मेरे घर आये ॥


नी मैं राह विच नैन बिछावा,

नाल चन्दन तिलक लगावा,

नी मैं रज रज दर्शन पावा,

आज राम मेरे घर आये,

मेरी कुटिया दे भाग जगाए,

आज राम मेरे घर आये ॥


वो जग दा पालनहारा,

नाल दुनिया दा रखवाला,

वो सबदे दुःख मिटाए,

आज राम मेरे घर आये,

मेरी कुटिया दे भाग जगाए,

आज राम मेरे घर आये ॥


नी मैं जिंदडी कोल कुवांवा,

नाल चख चख बेर खवावा,

वो हस हस खान्दा जाए,

आज राम मेरे घर आये,

मेरी कुटिया दे भाग जगाए,

आज राम मेरे घर आये ॥


नी मैं हृदय दा थाल बनावा,

नैना दी ज्योत जलावा,

नी मैं आरति आप ही गावा,

आज राम मेरे घर आये,

मेरी कुटिया दे भाग जगाए,

आज राम मेरे घर आये ॥


आज राम मेरे घर आए,

मेरे राम मेरे घर आए,

नी मैं उंचिया भागा वाली,

मेरी कुटिया दे भाग जगाए,

आज राम मेरे घर आये ॥


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बाबा ये नैया कैसे डगमग डोली जाये (Baba Ye Naiya Kaise Dagmag Doli Jaye)

बाबा ये नैया कैसे,
डगमग डोली जाए,

श्री महाकाली चालीसा (Shri Mahakali Chalisa)

जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब,
देहु दर्श जगदम्ब अब करहु न मातु विलम्ब ॥

हरियाली तीज: शिव-पार्वती से सीखें रिश्ते सहेजना

शिव और पार्वती की प्रेम कहानी एक अनोखी और प्यारी कहानी है, जो हमें रिश्तों के मायने सिखाती है। यह कहानी हमें बताती है कि प्यार और सम्मान से भरे रिश्ते को कैसे बनाए रखा जा सकता है। हरियाली तीज का पर्व शिव और पार्वती के प्रेम की याद दिलाता है।

श्री बटुक भैरव चालीसा

श्री गणपति, गुरु गौरि पद, प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वन्दन करों, श्री शिव भैरवनाथ ॥

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