तिलिंगा मंदिर, बोर्डुबी, असम (Tilinga Temple, Bordubi, Assam)

दर्शन समय

6AM - 8 PM

तिलिंगा मंदिर में घंटी बांधने से होती है इच्छाओं की पूर्ति, मंदिर के नाम की कहानी भी इसी से जुड़ी है 



तिलिंगा मंदिर जिसे बेल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भारत के असम के तिनसुकिया से कुछ किलोमीटर दूर बोर्डुबी में स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह अनोखा हिंदू मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और भक्तों द्वारा अपनी प्रार्थनाओं और इच्छाओं के प्रतीक के रूप में मंदिर परिसर में बांधी गई हजारों घंटियों के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि अपनी इच्छा करने के बाद घंटी बांधने से ये सुनिश्चित होता है कि हमारी इच्छा भगवान द्वारा सुनी जाती है और पूरी होती है। 



कैसे पड़ा मंदिर का नाम तिलिंगा



मंदिर का नाम असमिया शब्द तिलिंगा से लिया गया है जिसका अर्थ है घंटियां। यहां पर पीपल के पेड़ और उसकी विभिन्न शाखाओं के चारों ओर हजारों घंटियां बंधी हुई देखी जा सकती है। इन सभी घंटियों का आकार और साइड अलग-अलग होता है और विभिन्न प्रकार की धातुओं जैसे कांस्य, पीतल, एल्यूमीनियम और तांबे से बनी होती हैं। लोग यहां इन घंटियों को इच्छाओं और प्रार्थनाओं के साथ बांधते हैं। मंदिर में हर साल हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। 



बरगद के नीचे बना मंदिर, चमत्कारी है मंदिर 



तिलिंगा मंदिर का इतिहास 50 साल से भी पुराना है। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, मंदिर की स्थापना एक दिव्य बरगद के पेड़ के नीचे की गई थी, जहां चमत्कारिक रूप से एक शिवलिंग की खोज की गई थी। शुरू में जब लोग वहां प्रार्थना करने जाते थे, तो वादा करते थे कि अगर उनकी इच्छाएं पूरी हुई तो वे वापस आकर पीपल के पेड़ के चारों ओर एक घंटी बांध देंगे। तभी से यहां पर ये परंपरा शुरु हो गई। इस मंदिर में कबूतर, त्रिशूल भेंट करने की भी परंपरा है। यहां रेत में सैकड़ो शिव त्रिशूल यहां-वहां धंसे हुए है। इनकी इन मंदिर में बहुत मान्यता है।



पीपल के पेड़ से इच्छाओं की पूर्ति 



हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, पीपल के पेड़ को कल्पवृक्ष या इच्छा पूरी करने वाले दिव्य वृक्ष माना जाता है और माना जाता है कि अगर कोई पीपल के पेड़ पर घंटी लटकाता है को उसकी इच्छा पूरी होती है। किंवदंतियों के अनुसार एक बार भगवान शिव ने चंद्र को अपना रूप खोने से बचाया था। इसलिए ऐसा माना जाता है कि जो लोग सोमवार को भगवान शिव की पूजा करते हैं, ने अपने सभी कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं। तिलिंगा मंदिर विभिन्न आकारों और प्रकारों की सबसे बड़ी संख्या में घंटियों की मेजबानी करने का रिकॉर्ड रखता है।



मंदिर की वास्तुकला



तिलिंगा मंदिर एक सरल लेकिन आकर्षण वास्तुकला शैली को दर्शाता है। यहां ध्यान अलंकृत संरचनाओं पर नहीं बल्कि पूजा के अनूठे तरीके और मंदिर परिसर को सुशोभित करने वाली घंटियों की विशाल मात्रा पर हैं।



मदिर के त्यौहार



इस मंदिर में सोमवार और शिवरात्रि के मौके पर विशेष पूजा आयोजित की जाती है। शिवरात्रि के मौके पर विशेष अनुष्ठान किए जाते है।


निशिता काल पूजा

महाशिवरात्रि पारण

रात्रि प्रथम पहर पूजा

रात्रि द्वितीय पहर पूजा

रात्रि तृतीय पहर पूजा

रात्रि चतुर्थ पहर पूजा



तिलिंगा मंदिर कैसे पहुंचे मंदिर


हवाई मार्ग - यहां का निकटतम हवाई अड्डा गुवाहाटी एयरपोर्ट है जो प्रमुख शहरों से हवाई मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। नई दिल्ली से भी गुवाहाटी के लिए सीधी उड़ानें है। एयरपोर्ट से आप टैक्सी या बस के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।


रेल मार्ग - गुवाहाटी रेलवे स्टेशन प्रमुख भारतीय शहरों से अच्छे संपर्क में हैं। आप गुवाहाटी तक रेल यात्रा करके आसानी से पहुंच सकते हैं। रेलवे स्टेशन से टैक्सी या ऑटो के द्वारा तिलिंगा मंदिर पहुंचा जा सकता है।


सड़क मार्ग -  तिलिंगा मंदिर गुवाहाटी के अंदर स्थित है। शहर के विभिन्न हिस्सों से आप टैक्सी, ऑटो रिक्शा, या बस का उपयोग करके मंदिर पहुंच सकते है।


मंदिर का समय - ये मंदिर सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है।



डिसक्लेमर

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