मालिनीथान मंदिर, अरुणाचल प्रदेश (Malinithan Temple- Arunachal Pradesh)

दर्शन समय

6 AM - 9 PM

श्रीकृष्ण ने पार्वती को यहीं मालिनी नाम दिया इसलिए कहलाया मालिनीथान मंदिर, पुपेन नाम से मशहूर यहां की देवी


मालिनीथान मंदिर अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले में असम बॉर्डर से सटे लिकाबली क्षेत्र में स्थित है। जमीन से 60 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ये मंदिर एक हिंदू धार्मिक स्थल है। मालिनीथान यहां का सबसे खूबसूरत और पवित्र पर्यटन स्थल है, यहां से ब्रह्मपुत्र नदी के सुंदर दृश्य देखे जा सकते हैं। मालिनीथान का निर्माण 15वीं शताब्दी में शुतीया राजवंश के राजा लक्ष्मीनारायण ने कराया था। इस पहाड़ी पर पत्थर की प्रतिमाएं देखी जा सकती हैं। इनकी खोज 1968-1971 ई. की खुदाई के दौरान हुई थी। खुदाई में प्रतिमाओं के साथ स्तंभ और अनेक कलाकृतियां भी मिलीं। 



शिव-पार्वती ने कृष्ण-रूक्मणी का यहीं स्वागत किया 


मालिनीथान मंदिर के साथ श्रीकृष्ण की कथा जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी ने द्वारका जाते समय यहीं विश्राम किया था। उनके विश्राम के समय भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती ने उनका स्वागत फूलों के हार से किया था। तब भगवान कृष्ण ने पार्वती को मालिनी नाम दिया था। तब से इस स्थान को मालिनीथान और मालिनीस्थान के नाम से जाना जाता है। 




देवी दुर्गा यहां पुपेन नाम से जानी जाती हैं


एक अन्य कहानी के अनुसार, खुदाई के दौरान बिना सिर वाली एक महिला की छवि सामने आई, जो मालिनी की प्रतिनिधित्व करती थी जो शिव की प्रेमिका थी। यहां पाई गई दुर्गा देवी की छवि को पुपेन के नाम से जाना जाता है, जो दिव्य मां का प्राचीन मंदिर है। खुदाई के दौरान यहां दो हाथियों पर शेरों की चार मूर्तियां, ऐरावत पर्वत पर सवार इंद्र की ग्रेनाइट मूर्तियां, मोर पर सवार कार्तिकेय, रथ पर सवार सूर्य, चूहे पर सवार गणेशजी और बड़ा नंदी बैल भी यहां पाया गए। विभिन्न मुद्राओं में कुछ कामुक मूर्तियां भी देखने को मिलती है, जिसका अर्थ है कि जिस समय मंदिर बनाने का प्रक्रिया चल रही थी, उस समय यहां जनजातीय लोगों के प्रजनन संस्कार के रूप में तंत्रवाद प्रचलित था।



मालिनीथान मंदिर का महत्व


धार्मिक महत्व - मालिनीथान मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे शिव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। यहां का शिवलिंग प्राचीन है और स्थानीय लोग इसे अत्यधिक पवित्र मानते हैं। धार्मिक गतिविधियों में यहां की भूमिका महत्वपूर्ण है और लोग यहां शिव की पूजा और अर्चना करते हैं।


ऐतिहासिक महत्व- इसे प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता है और इसके आसपास कई प्राचीन स्मारक और शिलालेख मिलते है जो इसके महत्व को दर्शाते है।


पर्यटन स्थल - अरुणाचल प्रदेश की प्राकृतिक सुंदरता और मालिनीथान मंदिर की महत्वपूर्ण स्थानीयता के कारण, यहां पर्यटन का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां के विशाल पहाड़ी दृश्य, शांत वातावरण और धार्मिक अनुभव यात्रियों को खींचते हैं।



कैसे पहुंचे मालिनीथान मंदिर


हवाई मार्ग - मालिनीथान मंदिर 70 किमी की दूरी पर डिब्रूगढ़ एयरपोर्ट स्थित है। यहां से बस और टैक्सी से मंदिर पहुंचा जा सकता है।  

रेल मार्ग - मालिनीथान मंदिर भारत के अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी सियांग जिले में स्थित है। यह लिकाबाली रेलवे स्टेशन के पास स्थित है, जो मंदिर का निकटतम स्टेशन है। मंदिर तक सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग - मालिनीथान मंदिर लिकाबली, सियांग और डिब्रूगढ़ से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। 

डिसक्लेमर

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