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इस्कॉन मंदिर सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल (Iskcon Temple Siliguri, West Bengal)


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सिलीगुड़ी का इस्कॉन मंदिर, यहां रुद्राभिषेक की है विशेष व्यवस्था  


भारत के पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में स्थित इस्कॉन मंदिर सिलीगुड़ी एक प्रतिष्ठित आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। यह भक्तों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करता है। भगवान कृष्ण को समर्पित यह मंदिर इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस यानी ISKCON द्वारा संचालित किया जाता है।  


हरे कृष्ण आंदोलन के रूप में पहचाने जाने वाला यह स्थान पूरे पूर्वोत्तर भारत में सबसे बड़े कृष्ण केंद्रों में से एक है। तो आइए, इस आर्टिकल में सिलीगुड़ी में स्थित इस अनोखे इस्कॉन मंदिर के इतिहास, महत्व और विशेषताओं के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं। 


जानिए इस मंदिर का इतिहास 


इस्कॉन मंदिर सिलीगुड़ी का उद्घाटन वर्ष 2002 में जयपताका महाराज द्वारा किया गया था। इस मंदिर ने शीघ्र ही सिलीगुड़ी और इसके आसपास के क्षेत्रों में धार्मिक महत्व प्राप्त कर लिया। वर्ष 2004 में यहां शिवलिंग की स्थापना की गई, जो इसे और भी विशिष्ट बनाती है। सावन के महीने में हर सोमवार को भगवान शिव का भव्य श्रृंगार और पूजा-अर्चना होती है। मंदिर में जलाभिषेक और रुद्राभिषेक की विशेष व्यवस्था है, जिससे भक्तों को भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर मिलता है।


कैसी है मंदिर की वास्तुकला? 


यह मंदिर आधुनिक स्थापत्य शैली में निर्मित है, लेकिन इसकी रचना प्राचीन भारतीय वास्तुकला के 'वास्तुहार' सिद्धांतों को ध्यान में रखकर की गई है। मंदिर के भीतर भगवान राधा-कृष्ण की मनोहारी मूर्तियां विराजमान हैं, जिन्हें राधा माधव के रूप में पूजा जाता है। वहीं, मंदिर के अन्य प्रमुख देवताओं में अद्वैत आचार्य, भगवान नरसिम्हा और भगवान चैतन्य की मूर्तियां शामिल हैं। मंदिर की दीवारों पर रूसी कलाकारों द्वारा बनाए गए चित्र चैतन्य महाप्रभु, राधा-कृष्ण, राम-सीता, लक्ष्मण और हनुमान के विभिन्न युगों को दर्शाते हैं। इन चित्रों की बारीक कारीगरी और धार्मिक कहानियां भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती हैं।


मंदिर परिसर में मिलेंगी कई सुविधाएं 


मंदिर परिसर में एक शांतिपूर्ण वातावरण मिलता है। इसलिए यह भक्तों को ध्यान और प्रार्थना के लिए उपयुक्त स्थान प्रदान करता है। यहां एक गेस्ट हाउस भी उपलब्ध है, जो दूर से आने वाले भक्तों और पर्यटकों के लिए ठहरने की सुविधा प्रदान करता है। मंदिर के भोजनालय में शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसा जाता है, जिसे भक्त प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं।


मंदिर में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार 


बता दें कि इस्कॉन मंदिर सिलीगुड़ी में पूरे वर्ष विभिन्न वैष्णव त्योहारों का आयोजन किया जाता है। इन त्योहारों की तारीखें चंद्र कैलेंडर के आधार पर तय की जाती हैं। त्योहारों के दौरान मंदिर का वातावरण भक्तिमय हो जाता है। इस दौरान सैकड़ों भक्त भगवान की भक्ति में शामिल होते हैं। मंदिर में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में जन्माष्टमी, रथयात्रा, दिवाली, होली और वैकुंठ एकादशी जैसे त्योहार शामिल हैं। 


जानिए कैसे पहुंच सकते हैं मंदिर? 


इस्कॉन मंदिर सिलीगुड़ी के गिटलपारा, इस्कॉन टेम्पल रोड पर स्थित है। यह मंदिर सिलीगुड़ी जंक्शन से लगभग 6 किलोमीटर और पीसी मित्तल बस टर्मिनस से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां तक पहुंचने के लिए कैब, ऑटो रिक्शा या बस का उपयोग किया जा सकता है।

अगर आप सिलीगुड़ी जा रहे हैं, तो इस्कॉन मंदिर की यात्रा अवश्य करें और इसकी दिव्यता और शांति का अनुभव करें।


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'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।