नवीनतम लेख

श्री अन्नपूर्णा मंदिर, मेरठ, उत्तर प्रदेश


image

दर्शन समय

5:30 AM - 10 PM

स्वास्थ्य, भोजन और मानव सेवा के लिए प्रसिद्ध है मेरठ का ये अन्नपूर्णा मंदिर 


श्री अन्नपूर्णा मंदिर मेरठ में एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है। यह मंदिर भक्तों के बीच विशेष आस्था का केंद्र है और यहां भक्तो का हमेशा तांता लगा रहता है। श्री अन्नपूर्णा मंदिर का मुख्य उद्देश्य जन-साधारण मानव की निस्वार्थ सेवा है, इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए यहां हर दिन लगभग 150 से 200 व्यक्तियों को बिना किसी भेदभाव के भर पेट प्रसाद रूप में भोजन कराया जाता है। 


अन्नपूर्णा मंदिर का निर्माण


श्री अन्नपूर्णा मंदिर में संत डोंगरे महाराज ने 1988 में मां अन्नपूर्णा ट्रस्ट की शुरुआत की थी। उस समय 50 गरीब लोगों को भोजन कराकर इस मंदिर की शुरुआत की गई थी। 1994 में स्वामी कल्याण देव ने यहां छोटी मूर्ति स्थापित की थी। 2003 में दिव्यानंद महाराज ने बड़ी मूर्ति की स्थापना की थी। यहां रोजाना दो सौ से अधिक लोग भोजन करते हैं।


मानव कल्याण के लिए लगते हैं कैंप


यहां गरीब कन्याओं की शादी, लड़की दिखाने के लिए कमरों की व्यवस्था और मानव कल्याण हेतु चिकित्सा कैंप लगाए जाते हैं। मंदिर द्वारा संचालित हॉस्पिटल आम जनता के लाभ हेतु समय-समय पर आंख परीक्षण व ऑपरेशन, हार्ट की जांच, मोटापे की जांच, हड्डियों में कैल्शियम की जांच, दांतों की जांच, शुगर जांच, रक्तदान, नाक-कान-गला तथा मूक बधिरों की स्वास्थ्य जांच आदि कैंप लगाए जाते हैं।


अन्नपूर्णा मंदिर कैसे पहुंचे


हवाई मार्ग - यहां के लिए निकटतम हवाई अड्डा दिल्ली का इंदिरा गांधी एयरपोर्ट है, जो लगभग 80 किमी दूर है। वहां से मेरठ के लिए टैक्सी सुविधा उपलब्ध है।


रेल मार्ग - यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन मेरठ है। स्टेशन से आप स्थानीय परिवहन के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।


सड़क मार्ग - मेरठ शहर के विभिन्न हिस्सों से यहां पहुंचने के लिए ऑटो, टैक्सी या बस का उपयोग किया जा सकता है।


मंदिर का समय- सुबह 5.30 बजे से रात 10 बजे तक।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।