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उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के शिव शक्ति धाम मंदिर के दर्शन करना आसान नहीं है। क्योंकि, यहां अंदर आने के लिए सुरक्षा की तीन लेयर को पार करना पड़ता है। इसके बाद ही मंदिर में प्रवेश मिलता है। वहां के लोगों का कहना हैं कि प्रतिमा की स्थापना जब हुई है तबसे मंदिर की रखवाली के लिए वहां एक शेर रहता था। शिव शक्ति धाम मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। आइये जानते हैं डासना शिव शक्ति धाम मंदिर का इतिहास।
डासना स्थित शिव शक्ति धाम मंदिर का इतिहास पांडवों से जोड़कर देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इसी जगह पर शरण ली थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुगलकाल में इस मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। ऐसा कहते है कि उस समय के महंत ने मुगलों से छिपाकर मंदिर में लगी देवी मूर्ति को तालाब में छिपा दिया था। बता दें कि करीब दो सौ साल बाद मंदिर के तत्कालीन महंत जगत गिरि महाराज के सपने में देवी ने दर्शन दिए और मूर्ति को तलाब से निकाल कर स्थापित करने को कहा। फिर उन्होंने तालाब में खुदाई कराकर मूर्ति को निकलवाया और फिर से मंदिर की स्थापना की। मंदिर के निर्माण में लखौरी ईंटों का उपयोग किया गया है। लखौरी ईंटों को देखकर ही लगता है कि मुगलकाल में इस मंदिर का निर्माण हुआ था। वहीं मंदिर में स्थापित देवी काली की मूर्ति में जीभ बाहर निकाले कमल के फूल पर खड़ी हैं। जानकारी के अनुसार मूर्ति कसौटी के पत्थर की बनी हुई है। बता दें कि इस धातु की कीमत करोड़ों में है।
मान्यता है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग और देवी के काली स्वरूप के दर्शन करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके अलावा मंदिर में एक कमल का सरोवर भी है, जिसमें स्नान करने से चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है। ऐसा कहते है कि शिव शक्ति धाम में स्थापित शिवलिंग के ऊपर कितनी बार लेंटर डालकर छत बनाई गई। लेकिन आज तक उसके ऊपर छत नहीं टिकती है। कहते हैं इस लेंटर में रात को या अगले दिन ही दरारें पड़ जाती हैं। यह कोई चमत्कार से कम नहीं है, ऐसा होना दैवीय शक्ति का आभास कराती है। इस मंदिर में शिवलिग की पूजा-अर्चना के लिए काफी दूरदराज से श्रद्धालु आते हैं। सावन के माह में विशेष तौर पर यहां पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है।
मंदिर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम है। क्योंकि कई बार मंदिर के साधु संतों पर हमला हो चुका है। मंदिर में बढ़ते हमलों को देखने के बाद शासन द्वारा मंदिर की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। मंदिर में अब त्रिकोणीय सुरक्षा के द्वारा वेरीफाई होने के बाद ही आपको मुख्य मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत मिलती है। सबसे पहले मंदिर के मुख्य गेट पर आपकी तलाशी ली जाती है। फिर वेरिफिकेशन के लिए आधार, वोटर जैसे कार्ड चेक किए जाते हैं। इसके बाद एड्रेस नोट किया जाता है। फिर मंदिर के मुख्य क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले आपकी एक और बार तलाशी ली जाती है। जब आप मंदिर में प्रवेश करने के बाद महंत जी से मिलने के लिए आगे बढ़ते हैं, तब वहां पर आपका रिकॉर्ड एक बार फिर नोट किया जाता है और मिलने का समय दिया जाता है।
दिल्ली-मेरठ एनएच-9 से डासना की ओर जाने वाले रास्ते की तरफ शिव शक्ति धाम स्थित है।
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