नवीनतम लेख
पश्चिम उत्तर प्रदेश मेरठ जिले के हस्तिनापुर में बना द्रौपदी मंदिर आज भी चीरहरण की दास्तान को जीवित करते हुए दिखाई देता है। द्वापर युग में जब द्रोपदी के चीर हरण किया जा रहा था। तब द्रौपदी द्वारा जब श्री कृष्ण भगवान से मदद की गुहार लगाई गई। श्री कृष्ण भगवान ने द्रौपदी की लाज बचाई थी। उस घटना को भला कौन भूल सकता है। इस मंदिर में जो मूर्ति लगी हुई है, उसमें जो चीरहरण हुआ था उसको दर्शाया गया है। जी हां द्रौपदी घाट पर ही द्रोपदी मंदिर बना हुआ है। जिसमें भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा के साथ-साथ उस समय की प्रतिमा बनी हुई है जब द्रोपदी का चीर हरण किया जा रहा था।
मंदिर की महंत वेगवती बताती हैं कि इसी घाट पर स्नान कर द्रौपदी माता भगवान श्री कृष्ण की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना किया करती थी। इस जगह की विशेषता है कि आज भी द्रौपदी माता के मंदिर के पास बने इस घाट पर आपको गंगा की अविरल जलधारा बहते हुए मिलेगी। जो विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए मंदिर तक पहुंचती है। बता दें कि हस्तिनापुर घूमने जाने वाले लोग मंदिर में माता के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी द्रौपदी माता से यहां मांगते हैं उन सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। जिनकी मुराद पूरी हो जाती है वह यहां मां द्रौपदी की पूजा करने जरूर आते हैं। ऐसा कहा जाता द्रौपदी की पूजा के बाद कृष्ण की पूजा करना अनिवार्य है नहीं तो आपको उनकी पूजा का उचित फल नहीं मिलेगा। मान्यता के चलते सैकड़ों महिला श्रद्धालु यहां पर प्रतिदिन आकर स्नान करती हैं।
द्रोपदी मंदिर तक पहुंचने के लिए न तो पक्की सड़क की व्यवस्था है और न ही सड़क किनारे लाइटों की। इस कारण श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। श्रद्धालु मंदिर तक जैसे-तैसे पहुंचते हैं। इसके साथ ही पेयजल की भी उचित व्यवस्था नहीं है। पर्यटन विभाग के अधिकारी भी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। जल्द ही मेरठ शहर का अपना मेट्रो स्टेशन होगा। मेरठ मेट्रो का निर्माण 2019 से चल रहा है और जून 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। फिलहाल रैपिड मेट्रो की शुरुआत मेरठ साउथ आरआरटीएस स्टेशन से हुई है। मेरठ के निकटतम मेट्रो स्टेशन शहीद स्थल है जो दिल्ली मेट्रो रेड लाइन पर है और रिठाला की ओर है।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।