नवीनतम लेख

Kothandaramaswamy Mandir Tamil Nadu (कोठंडारामस्वामी मंदिर, तमिलनाडु)


image

दर्शन समय

N / A

Kothandaramaswamy Mandir Tamil Nadu: तमिलनाडु का कोठंडारामस्वामी मंदिर, जहां विभीषण ने ली थी भगवान राम की शरण 


दक्षिणी भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित कोठंडारामस्वामी मंदिर एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है जो रामायण काल से जुड़ा हुआ है। यह मंदिर धनुषकोडी में स्थित है जो समुद्र के किनारे बसा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वही स्थान है जहां विभीषण ने भगवान राम की शरण ली थी और उनके आशीर्वाद से लंका का शासन प्राप्त किया था। इस मंदिर का न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक महत्व भी है जो इसे दक्षिण भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शुमार करता है।


मंदिर का इतिहास और पौराणिक महत्व

कोठंडारामस्वामी मंदिर का संबंध रामायण से है। कहा जाता है कि जब भगवान राम और उनकी सेना ने सेतु बंधन के लिए धनुषकोडी से लंका की ओर जाने की योजना बनाई तो रावण के भाई विभीषण ने इस स्थान पर भगवान राम से शरण ली थी। विभीषण ने राम से सहायता की प्रार्थना की और भगवान राम ने उसे शरण में स्वीकार कर लिया। इसके बाद विभीषण को लंका का राजा बना दिया गया। इस घटना की याद में ही इस मंदिर का निर्माण किया गया और यहाँ भगवान राम के साथ-साथ विभीषण की पूजा की जाती है।

मंदिर में भगवान राम के साथ-साथ भगवान लक्ष्मण, माता सीता, हनुमान और विभीषण की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। यह स्थल न केवल रामायण की कथा का जीवित प्रमाण है बल्कि धर्म, सत्य और न्याय के प्रतीक के रूप में भी श्रद्धालुओं के लिए अत्यधिक महत्व रखता है।


मंदिर की वास्तुकला और विशेषताएँ

कोठंडारामस्वामी मंदिर की वास्तुकला दक्षिण भारतीय शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर में द्रविड़ शैली की वास्तुकला का प्रभाव साफ दिखाई देता है। यहाँ की दीवारों पर रामायण के दृश्य और भगवान राम की कथाएं उकेरी गई हैं जो दर्शनार्थियों को रामायण के महान प्रसंगों से जोड़े रखती हैं। इसके अलावा मंदिर के आसपास का वातावरण भी अत्यधिक शांतिपूर्ण और ध्यानमग्न करने वाला है जो तीर्थयात्रियों को आत्मिक शांति का अनुभव कराता है।


मंदिर का महत्व और पूजा

कोठंडारामस्वामी मंदिर वैष्णव संप्रदाय के 108 अभिमान स्थलों में से एक है। यह मंदिर विशेष रूप से उन श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण है जो भगवान राम के परम भक्त हैं। यहाँ प्रत्येक वर्ष राम नवमी, हनुमान जयंती जैसे त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को भगवान राम, लक्ष्मण और विभीषण की पूजा का विशेष अवसर मिलता है जिससे उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

यह मंदिर न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए बल्कि पूरे भारत से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहाँ की यात्रा करते समय लोग रामेश्वरम और धनुषकोडी के अन्य धार्मिक स्थलों का भी दर्शन करते हैं जैसे पंबन ब्रिज और रामनाथस्वामी मंदिर।


कोठंडारामस्वामी मंदिर तक कैसे पहुंचें

कोठंडारामस्वामी मंदिर तक पहुँचने के लिए तीन प्रमुख मार्ग हैं—हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग:

1. हवाई मार्ग:

निकटतम हवाई अड्डा मदुरै अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो मंदिर से लगभग 170 किलोमीटर दूर स्थित है। मदुरै से आप टैक्सी या बस द्वारा रामेश्वरम तक पहुँच सकते हैं जो मंदिर का निकटतम शहर है।

2. रेल मार्ग:

रामेश्वरम रेलवे स्टेशन कोठंडारामस्वामी मंदिर से लगभग 13 किलोमीटर दूर है। यह स्टेशन तमिलनाडु के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है और यहां से आप टैक्सी या लोकल ट्रांसपोर्ट द्वारा मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

3. सड़क मार्ग:

रामेश्वरम शहर से धनुषकोडी रोड होते हुए कोठंडारामस्वामी मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 13 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है। यह रास्ता समुद्र के किनारे से होकर गुजरता है। 


डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।