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अथ दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला (Ath Durgadwatrishanmala)

"श्री दुर्गा द्वात्रिंशत नाम माला" देवी दुर्गा को समर्पित बत्तीस नामों की एक माला है। यह बहुत ही प्रभावशाली स्तुति है। मनुष्य सदा किसी न किसी भय के अधीन रहता है। सभी प्रकार के भय का निवारण करने के लिये दुर्गा-द्वात्रिंशन्नाममाला स्तोत्र का पाठ करना लाभकारी होता है। इस आलेख में दुर्गा-द्वात्रिंशन्नाममाला स्तोत्र हिन्दी अर्थ सहित दिया गया है साथ ही दुर्गा-द्वात्रिंशन्नाममाला स्तोत्र का महत्व भी बताया गया है। अंत में अनेकों महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर भी दिये गये हैं जो आलेख को महत्वपूर्ण सिद्ध करता है।



दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला का पाठ करने का शुभ दिन और समय

 


1. नवरात्रि के दौरान सुबह 4:00 से 6:00 बजे तक (ब्रह्म मुहूर्त)

2. दोपहर 12:00 से 2:00 बजे तक (मध्याह्न)

3. शाम 4:00 से 6:00 बजे तक (संध्या)

4. रात 8:00 से 10:00 बजे तक (रात्रि)


अथ दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला का पाठ करने से लाभ 



1. कोई शत्रुओं से पीड़ित हो अथवा दुर्भेद्य बंधन में पड़ा हो, इन बत्तीस नामों के पाठ मात्र से संकट से छुटकारा पा जाता है। 

2. दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला के अनुसार यदि राजा क्रोध में भरकर वध के लिए अथवा और किसी कठोर दंड के लिए आज्ञा दे दे या युद्ध में शत्रुओं द्वारा मनुष्य घिर जाए अथवा वन में व्याघ्र आदि हिंसक जंतुओं के चंगुल में फंस जाए तो इन बत्तीस नामों का एक सौ आठ बार पाठ मात्र करने से वह सम्पूर्ण भयों से मुक्त हो जाता हैं।

3.विपत्ति के समय इस के समान भयनाशक उपाय दूसरा नहीं हैं। 

4. इस नाममाला का पाठ करने वाले मनुष्यो की कभी कोई हानि नहीं होती। 

5. जो भारी विपत्ति में पड़ने पर भी इस नामावली का हजार, दस हजार अथवा लाख बार पाठ करता हैं, स्वयं करता या ब्राह्मणों से कराता हैं, वह सब प्रकार की आपत्तियों से मुक्त हो जाता हैं।



स्तोत्र 


दुर्गा दुर्गार्तिशमनी दुर्गापद्विनिवारिणी।

दुर्गमच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी॥

दुर्गतोद्धारिणी दुर्गनिहन्त्री दुर्गमापहा।

दुर्गमज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला॥

दुर्गमा दुर्गमालोका दुर्गमात्मस्वरूपिणी।

दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता॥

दुर्गमज्ञानसंस्थाना दुर्गमध्यानभासिनी।

दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थस्वरूपिणी॥

दुर्गमासुरसंहन्त्री दुर्गमायुधधारिणी।

दुर्गमाङ्गी दुर्गमता दुर्गम्या दुर्गमेश्वरी॥

दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्गभा दुर्गदारिणी।

नामावलिमिमां यस्तु दुर्गाया मम मानवः॥

पठेत् सर्वभयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः॥


॥ इति दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला सम्पूर्णम् ॥


रामजी की निकली सवारी (Ramji Ki Nikali Sawari Ramji Ki Leela Hai Nayari)

सर पे मुकुट सजे मुख पे उजाला
हाथ धनुष गले में पुष्प माला

तुम कालों के काल, बाबा मेरे महाकाल(Tum Kalo Ke Kal Baba Mere Mahakal )

तुम कालों के काल,
बाबा मेरे महाकाल ॥

श्री लक्ष्मीनृसिंह स्तोत्रम्

श्रीमत्पयोनिधिनिकेतन चक्रपाणेभोगीन्द्रभोगमणिरञ्जितपुण्यमूर्ते।

आजा माँ आजा माँ एक बार, मेरे घर आजा माँ (Aaja Maa Aaja Maa Ek Baar Mere Ghar Aaja Maa )

आजा माँ आजा माँ एक बार,
मेरे घर आजा माँ,

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