कंस भी न कर सका था जिनका वध वह है करौली की कैला देवी, पूरी करतीं हर मनोकामना
कैला देवी मंदिर राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जो करौली जिले के कैलादेवी गांव में स्थित है। यह मंदिर कैलादेवी को समर्पित है और उत्तर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में गिना जाता है। मंदिर का निर्माण राजा भोमपाल ने 1600 ई. में करवाया था। इस मंदिर से जुड़ी अनेक कथाएं प्रचलित हैं।
कैला देवी की प्रचलित कथाएं:
माना जाता है कि भगवान कृष्ण के पिता वासुदेव और देवकी को जेल में डालकर जिस कन्या योगमाया का वध कंस ने करना चाहा था, वह योगमाया कैला देवी के रूप में इस मंदिर में विराजमान हैं। इस मंदिर में चांदी की चौकी पर स्वर्ण छतरियों के नीचे दो प्रतिमाएं हैं। एक प्रतिमा बाईं ओर झुकी हुई है, जिसे कैला मइया के नाम से जाना जाता है। दाहिनी ओर दूसरी माता चामुंडा देवी की प्रतिमा है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, पुरातन काल में त्रिकूट पर्वत के आसपास का इलाका घने वन से घिरा हुआ था, जहां नरकासुर नाम का राक्षस रहता था। नरकासुर ने आसपास के इलाके में आतंक मचाया था और वहां के निवासी दुखी थे। परेशान लोग माँ दुर्गा की पूजा करते हुए उनकी शरण में पहुंचे। माँ कैला देवी ने इस स्थान पर अवतरित होकर नरकासुर का वध किया और भक्तों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई। तभी से उन्हें माँ दुर्गा का अवतार मानकर पूजा जाता है।
कैसे पहुंचे:
कैला देवी मंदिर दिल्ली-बॉम्बे मार्ग पर ब्रॉड गेज पश्चिमी मध्य रेलवे लाइन के पास स्थित है। इसका सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन गंगापुर है। इसके अलावा, मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर हवाई अड्डा है। आप रेलवे और हवाई मार्ग से आसानी से मंदिर पहुंच सकते हैं।
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