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श्रीमेहंदीपुर बालाजी, मेहंदीपुर राजस्थान
श्रीमेहंदीपुर बालाजी मंदिर का महत्व:
मेहंदीपुर बालाजी को हनुमान भगवान का देश का सबसे बड़ा मंदिर कहा जाता है। यह राजस्थान के दौसा जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह हिंदू देवता हनुमान को समर्पित है। यह मंदिर प्रेत बाधा दूर करने व बुरी आत्माओं से बचाव के लिए ख्यात है। बालाजी नाम भारत के कई हिस्सों में श्री हनुमान पर लागू किया जाता है क्योंकि भगवान का बाल्य (हिंदी या संस्कृत में बाला) रूप विशेष रूप से वहां पूजा जाता है।
कर्मकांडीय उपचार और बुरी आत्माओं के प्रभाव से मुक्ति के लिए इस मंदिर की ख्याति देश भर में है और इसके चलते राजस्थान में रोज देश भर से सैकड़ों श्रद्धालु यहां दर्शन करने के लिए आते हैं।
ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति बुरी आत्माओं से पीड़ित है, उन्हें कुछ विशेष विधियों से संकट से राहत मिलती है। यहां आने वाले लोग बूंदी के लड्डू का भोग श्री बालाजी महाराज को, भैरव बाबा को चावल और उड़द की दाल अर्पित करते हैं। शनिवार और मंगलवार मंदिर के सबसे व्यस्त दिन माने जाते हैं क्योंकि ये दोनों दिन हनुमानजी के दिन होते हैं।
श्रीमेहंदीपुर बालाजी मंदिर की कथा:
मेहंदीपुर में यहाँ घोर जंगल था। घनी झाड़ियाँ थी, शेर-चीता, बघेरा आदि जंगल में जंगली जानवर पड़े रहते थे। चोर-डाकूऒ का इस गांव में डर था। जो बाबा महंत जी महाराज के जो पूर्वज थे, उनको स्वप्न दिखाई दिया और स्वप्न की अवस्था में वे उठ कर चल दिए उन्हें ये पता नही था कि वे कहाँ जा रहे हैं। स्वप्न की अवस्था में उन्होंने अनोखी लीला देखी एक ऒर से हज़ारों दीपक जलते आ रहे हैं। हाथी घोड़ो की आवाजें आ रही हैं।
एक बहुत बड़ी फौज चली आ रही है उस फौज ने श्री बालाजी महाराज जी, श्री भैरो बाबा, श्री प्रेतराज सरकार, को प्रणाम किया और जिस रास्ते से फौज आयी उसी रास्ते से फौज चली गई। और गोसाई महाराज वहाँ पर खड़े होकर सब कुछ देख रहे थे। उन्हें कुछ डर सा लगा और वो अपने गांव की तरफ चल दिये घर जाकर वो सोने की कोशिश करने लगे परन्तु उन्हे नींद नही आई बार-बार उसी स्वप्न के बारे में विचार करने लगे। जैसे ही उन्हें नींद आई। वो ही तीन मूर्तियाँ दिखाई दी, विशाल मंदिर दिखाई दिया और उनके कानों में वही आवाज आने लगी और कोई उनसे कह रहा बेटा उठो मेरी सेवा और पूजा का भार ग्रहण करो। मैं अपनी लीलाओं का विस्तार करूँगा। और कलयुग में अपनी शक्तियाँ दिखाऊॅंगा। यह कौन कह रहा था रात में कोई दिखाई नही दिया।
गोसाई जी महाराज इस बार भी उन्होंने इस बात का ध्यान नही दिया अंत में श्री बालाजी महाराज ने दर्शन दिए और कहा कि बेटा मेरी पूजा करो दूसरे दिन गोसाई जी महाराज उठे मूर्तियों के पास पहुंचे उन्होंने देखा कि चारों ओर से घण्टा, घडियाल और नगाड़ों की आवाज़ आ रही है किंतु कुछ दिखाई नही दिया इसके बाद गोसाई महाराज नीचे आए और अपने पास लोगों को इकट्ठा किया अपने सपने के बारे में बताया जो लोग सज्जन थे उन्होने मिल कर भोग की व्यवस्था करा दी, बालाजी महाराज ने उन लोगों को बहुत चमत्कार दिखाए।
श्री बाला जी महाराज की प्रतिमा जहाँ से निकली थी, लोगों ने उन्हे देखकर सोचा कि वह कोई कला है। तो वह मूर्ति फिर से लुप्त हो गई फिर लोगों ने श्री बाला जी महाराज से क्षमा मांगी तो वो मूर्तियाँ दिखाई देने लगी। श्री बाला जी महाराज की मूर्ति के चरणों में एक कुंड है। जिसका जल कभी ख़त्म नही होता है। रहस्य यह है कि श्री बालाजी महाराज के ह्रदय के पास के छिद्र से एक बारिक जलधारा लगातार बहती है। उसी जल से भक्तों को छींटे लगते हैं।
जोकि चोला चढ़ जाने पर भी जलधारा बन्द नही होती है। इस तरह तीनों देवताओं की स्थापना हुई , श्री बाला जी महाराज जी की, प्रेतराज सरकार की, भैरो बाबा की।
श्रीमेहंदीपुर बालाजी मंदिर में पूजा की विधि :
श्रीमेहंदीपुर बालाजी मंदिर में पूजा की विधि में कुछ विशेष नियम और विधियां हो सकती हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण विधियां हैं:
दर्शन और पूजा: मंदिर के दर्शन के लिए आपको मंदिर के निर्धारित समय में आना होगा। बालाजी की प्रतिमा के सामने आकर पूजा की जाती है।
प्रार्थना: आपको ध्यान में लगाकर मंदिर में प्रार्थना करनी चाहिए। बालाजी को मन, वचन, और कर्म से समर्पित करना चाहिए।
पूजा सामग्री: पूजा के लिए विशेष सामग्री जैसे फूल, चादर, प्रसाद, धूप, दीपक, और नैवेद्य ले जाना चाहिए।
मंत्रों का पाठ: पूजा के दौरान विशेष मंत्रों का पाठ किया जाता है, जो भगवान की स्तुति और प्रार्थना में उपयोग किए जाते हैं।
दान और सेवा: मंदिर में आने वाले व्यक्तियों को दान और सेवा करना भी महत्वपूर्ण होता है। यह धर्मिक श्रेष्ठता की भावना को बढ़ाता है।
मंदिर के कुछ अनिवार्य नियम।
1.) मंदिर के अंदर अजनबियों को न छुएं न और बातचीत न करें।
2.) मंदिर के अंदर कुछ भी न खाएं-पिएं।
3.) मंदिर जाने से पहले प्याज या नॉन वेज खाना न खाएं।
4.) गांव से वापस जाते समय कोई भी प्रसाद या अन्य सामग्री न ले जाएं।
5.) मंदिर से जाते समय पीछे मुड़कर न देखें।
श्रीमेहंदीपुर बालाजी, मेहंदीपुर राजस्थान पहुँचने के लिए परिवहन सुविधाएं।
श्रीमेहंदीपुर बालाजी, राजस्थान पहुंचने के लिए विभिन्न परिवहन सुविधाएं हैं जो यात्रियों को सहायक होती हैं।
हवाई यातायात: निकटतम हवाई उड़ानयों का आधार संगठित है जो कि जोधपुर और जयपुर शहरों से उपलब्ध हैं। जोधपुर हवाई अड्डा देश के कई महत्वपूर्ण शहरों से उड़ानें प्रदान करता है।
रेलवे: श्रीमेहंदीपुर रेलवे स्टेशन भी प्रमुख शहरों से बाहरी और अंतरराष्ट्रीय स्थानों से यात्रा को आसान बनाता है। यहां से आप रेलवे यात्रा का आनंद ले सकते हैं।
सड़क परिवहन: अगर आपको रोडवे पर यात्रा करनी है, तो बसें और टैक्सियों की सुविधा उपलब्ध है। राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम अनेक बस सेवाएं चलाता है जो अन्य शहरों से यहां पहुंचने की सुविधा प्रदान करता है।
अन्य सुविधाएं: शहर के अंदर आपको टैक्सी, ऑटोरिक्शा, रिक्शा आदि की सेवाएं भी मिलेंगी जो आपको स्थानीय यात्रा में सहायक हो सकती हैं।
ध्यान देने वाली बात यह है कि यात्रा के समय आप सही तरीके से परिवहन की व्यवस्था करें और अपने यात्रा की योजना को पहले से ही बनाएं। इसके अलावा, स्थानीय परिवहन की सुविधाओं को अच्छी तरह से समझें ताकि आपकी यात्रा आसान और सुरक्षित हो।
श्रीमेहंदीपुर बालाजी, मेहंदीपुर राजस्थान के आस-पास कुछ होटल और गेस्ट हाउस की सूची निम्नलिखित है:
ये कुछ ऐसे होटल्स और गेस्ट हाउसेस हैं जो मंदिर के निकट स्थित हैं:
मेहंदीपुर बालाजी टेम्पल गेस्ट हाउस: यह गेस्ट हाउस मंदिर के सामने स्थित है और अच्छी सुविधा प्रदान करता है।
बालाजी धर्मशाला: यह धर्मशाला मंदिर के पास स्थित है और पर्यटकों को अच्छी सुविधा का विकल्प देता है।
गोल्डन होटल: यह होटल भी मंदिर के पास स्थित है और सुविधाजनक विकल्प है।
मेहंदीपुर बालाजी लक्ष्मी निवास: यह होटल भी मंदिर के करीब है और अच्छी सेवाएं उपलब्ध कराता है।
बालाजी इन: यह गेस्ट हाउस भी मंदिर के पास है और अच्छी सुविधा का विकल्प है।
बालाजी रेजिडेंसी: यह रेजिडेंसी मंदिर के निकट स्थित है और शांतिपूर्ण वातावरण में अच्छी सेवाएं उपलब्ध कराता है।
ये सभी होटल् और गेस्ट हाउस अच्छी सुविधा और सुरक्षित रहने के साथ-साथ मंदिर के पास स्थित हैं। आप अपनी आवश्यकतानुसार इनमें से किसी भी विकल्प को चुन सकते हैं।
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