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स्वर्ण मंदिर, अमृतसर (Golden Temple, Amritsar)


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दर्शन समय

4 AM - 10 PM

500 किलो सोने से सजा स्वर्ण मंदिर, 1577 में रखी गई हरमंदिर साहिब की नींव 


अमृतसर के सबसे बड़े आकर्षणों में से एक है श्री हरमंदिर साहिब, जो स्वर्ण मंदिर के नाम से मशहूर है। यह मंदिर सिख लोगों के लिए पूजा का मुख्य स्थान है, जिसमें सभी जातियों, पंथों और नस्लों को समान प्रवेश की अनुमति है। स्वर्ण मंदिर के परिसर में सरोवर शामिल है जिसे अमृता सरस या "अमृत का कुंड" के नाम से जाना जाता है , जिसके पानी में तीर्थयात्री अक्सर मंदिर में प्रवेश करने से पहले स्नान करते हैं।

माना जाता है कि सरोवर के पानी में जादुई और उपचारात्मक शक्तियाँ होती हैं। दुनिया का सबसे बड़ा लंगर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में होता है। यहां रोज लाखों लोग लंगर चखते हैं और इसमें बनाया जाने वाला भोजन पूरी तरह से शाकाहारी होता है। इस लंगर में आमतौर पर रोटियां, दाल, सब्जी और मीठा होता है। यह लंगर 24 घंटे श्रद्धालुओं को लंगर सेवा प्रदान करता है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहां परोसे जाने वाली सभी भोजन सामग्रियां भक्तों द्वारा दिए गए दान की होती हैं। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह मंदिर कई किलो सोने से सुसज्जित है।

स्वर्ण मंदिर में इस्तेमाल किए गए सोने की बात की जाए तो इसमें 500 किलोग्राम से भी अधिक सोने का इस्तेमाल किया गया है। इसके सोने के सभी कोट देश के विभिन्न हिस्सों के कुशल कलाकारों द्वारा बनाए गए थे। यह सब 24-कैरेट सोने से बना है, जो आज भारतीय घरों में मौजूद 22-कैरेट सोने से कहीं अधिक शुद्ध है। इस संरचना के शीर्ष पर 750 किलो सोने का चढ़ा हुआ गुंबद है। यहाँ तक कि मंदिर के दरवाज़े भी सोने की पन्नी से ढके हुए हैं।

मंदिर का इतिहास 


इसके इतिहास की बात करें तो इसकी नींव श्री गुरु राम दास जी ने 1577 ई. में रखी थी। 15 दिसंबर, 1588 को श्री गुरु अर्जन देव जी जो कि पांचवें सिख गुरु थे उन्होंने श्री हरमंदिर साहिब का निर्माण शुरू किया था। इसके बाद 16 अगस्त, 1604 ई. को श्री हरमंदिर साहिब को स्थापित किया गया। 

स्वर्ण मंदिर के नियम

 
मंदिर में प्रवेश करने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। बता दें कि आपको यहां दर्शन करने के लिए उचित पोशाक पहननी होगी। परिसर में प्रवेश करने से पहले, आपको अपने जूते उतारने होंगे और सम्मान के प्रतीक के रूप में अपने सिर को स्कार्फ से ढकना होगा। 

मंदिर की विशेषता 


यहां हर साल बैसाखी का वार्षिक उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा, गुरु नानक का जन्मदिन, गुरु तेग बहादुर का शहीदी दिवस और गुरु रामदास का जन्मदिन भी मंदिर में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा दिवाली के दौरान, स्वर्ण मंदिर को मिट्टी के दीयों से शानदार ढंग से रोशन किया जाता है। 


कैसे पहुंचे 


स्वर्ण मंदिर जाने के लिए सड़क, ट्रेन, और हवाई तीनों मार्ग उपलब्ध हैं। अगर आप हवाई यात्रा से यहां जाना चाहते हैं तो अमृतसर में एयरपोर्ट है जहां अलग-अलग राज्यों से फ्लाइट उड़ान भरती हैं। इसके बाद एयरपोर्ट से आप ऑटो या कैब से मंदिर तक जा सकते हैं। वहीं  ट्रेन मार्ग के लिए अमृतसर में फेमस रेलवे स्टेशन है। यहां रेलवे स्टेशन से उतरने के बाद आप वहां से ऑटो, कैब या बस से गोल्डन टेंपल तक जा सकते हैं।

समय : सुबह 4 बजे से रात 10 बजे

डिसक्लेमर

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