Vaman Dwadashi Puja Vidhi: वामन द्वादशी पर इस विधि से करें वामन अवतार की पूजा, मिलेगा भगवान का आशीर्वाद
वामन द्वादशी का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। यह पर्व हर साल दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र मास की द्वादशी तिथि को और दूसरा भाद्रपद मास की द्वादशी तिथि को। इस बार यह 9 अप्रैल, 2025, शनिवार यानी आज मनाया जा रहा है। यह दिन विष्णु जी के पहले अवतार भगवान वामन की पूजा के लिए समर्पित है। कहा जाता है कि जो लोग इस दिन श्री हरि के पहले अवतार वामन देव की पूजा करते हैं, उन्हें हर सुख और वैभव की प्राप्ति होती है।
वामन देव की पूजा विधि
- भगवान वामन की पूजा करने से पहले साधक को सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए।
- श्रद्धापूर्वक उनकी मूर्ति को वेदी पर स्थापित करें।
- पवित्र गंगा जल से स्नान कराएं।
- हल्दी का तिलक लगाएं, पीले फूलों की माला और पीले वस्त्र अर्पित करें।
- शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं।
- पूरे दिन व्रत रखें और शाम को वामन कथा का पाठ करें।
- आरती के साथ पूजा का समापन करें।
- वैदिक मंत्रों का जाप करें और दान भी करें।
मान्यता है कि इस द्वादशी तिथि पर श्री हरि के वामन अवतार की पूजा करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। कहा जाता है कि अगर आप प्रतिदिन भगवान वामन को चढ़ाए गए शहद का सेवन करते हैं तो आपको सभी तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है। वामन द्वादशी के दिन विशेष पूजा और व्रत करने से व्यापार में सफलता मिलती है और पारिवारिक समस्याएं दूर होती हैं।
इस विधि से भी कर सकते है वामन जयन्ती की पूजा
इस दिन सुबह वामन देव की सोने या मिट्टी की मूर्ति पर पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा की जाती है। वामन जयंती के दिन व्रत भी रखा जाता है। शाम की पूजा के बाद वामन जयंती व्रत कथा पढ़ी या सुनी जाती है। इसके बाद प्रसाद ग्रहण कर व्रत तोड़ा जाता है। इस दिन चावल, दही और मिश्री का दान भी किया जाता है। अगर वामन जयंती श्रवण नक्षत्र के दिन पड़े तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।