Sangit Prarambh Puja Vidhi: संगीत प्रारंभ पूजा कैसे होती है, जानें विधि, प्रक्रिया और लाभ
भारतीय परंपरा में संगीत को आध्यात्मिक और मानसिक उन्नति का साधन माना जाता है। इसलिए जब कोई व्यक्ति संगीत सीखने की शुरुआत करता है, तब वो एक संगीत प्रारंभ पूजा करता है। यह पूजा छात्रों को संगीत के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में मदद करती है।ऐसा करना शुभ भी माना जाता है। साथ ही संगीत प्रारंभ पूजा करने से व्यक्ति को कला में निपुणता और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है। संगीत प्रारंभ पूजा में मुख्य रूप से भगवान गणेश, माता सरस्वती और नटराज (भगवान शिव) की पूजा की जाती है। गणेश जी सभी विघ्नों को दूर करते हैं, सरस्वती माता विद्या और ज्ञान प्रदान करती हैं, और नटराज भगवान संगीत और नृत्य के प्रतीक हैं। इस लेख में हम संगीत प्रारंभ पूजा के लाभ, महत्व और विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
- सरस्वती माता की मूर्ति
- संगीत वाद्य यंत्र (जैसे: तबला, सितार, गिटार आदि)
- धूप
- दीप
- अक्षत
- रोली
- चावल
- फल
- मिठाई
संगीत प्रारंभ पूजा विधि
- सबसे पहले पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करें।संगीत प्रारंभ पूजा के लिए बसंत पंचमी, गुरु पूर्णिमा, नवरात्रि, अक्षय तृतीया या किसी शुभ दिन को चुना जाता है।
- स्वच्छ कपड़े पहनकर पूजा में बैठे। सबसे पहले माता सरस्वती और भगवान गणेश की पूजा करें।
- इसके बाद भगवान नटराज को धूप, दीप और बेलपत्र अर्पित करें।फिर अपने संगीत वाद्य यंत्र की पूजा करें।
- इसके बाद अपने गुरू का चरण स्पर्श करें और उनका आशीर्वाद लें।
- अंत में कुछ संगीत बजाएं या गाएं और प्रसाद का वितरण करें।
संगीत प्रारंभ पूजा के लाभ
संगीत प्रारंभ पूजा करने से एकाग्रता बढ़ती है। मन में सकारात्मक ऊर्जा आती है, आत्मविश्वास बढ़ता है, नकारात्मक ऊर्जा और विघ्न दूर होते हैं। साथ ही गुरु शिष्य के संबंध मजबूत होते हैं।
संगीत प्रारंभ पूजा का महत्व
संगीत प्रारंभ पूजा का महत्व छात्रों के जीवन में बहुत अधिक है। यह पूजा उन्हें संगीत के प्रति प्रेरित करती है और उन्हें संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। इससे मन की शुद्धता बनी रहती है, आत्मविश्वास बढ़ता है और संगीत में सफलता पाने के मार्ग खुलते हैं। यह पूजा न केवल संगीत में निपुणता दिलाती है, बल्कि यह विद्यार्थी को अनुशासन और समर्पण भी सिखाती है।