क्या है माता लक्ष्मी की पूजा करने की सही विधि, जानिए कैसे करें तैयारी
दीपावली, जिसे दीपोत्सव या महालक्ष्मी पूजन का पर्व भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का सबसे पावन त्योहारों में से एक है। यह पर्व विशेषकर धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए ही मनाया जाता है। पूरी विधि-विधान से लक्ष्मी पूजन करने से घर में सुख, समृद्धि और शुभता का वास होता है। इस पूजा में शास्त्रोक्त विधि, पवित्रता और सही सामग्री का विशेष महत्व है। लक्ष्मीजी को कमल, गुलाब, चावल और स्वर्ण आभूषण अत्यधिक प्रिय हैं। इस आलेख में विस्तार से जानिए पूजा की तैयारी, विधि, सामग्री के बारे में।
पूजा की तैयारी
- स्थान की पवित्रता
- सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें।
- गाय के गोबर से लीपकर उसे पवित्र बनाएं।
- पूजा स्थल पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
- आसन के लिए ऊन का प्रयोग करें, इससे तत्काल फल प्राप्त होता है।
- मूर्ति और पूजन सामग्री की व्यवस्था
- चौकी पर लक्ष्मी और गणेशजी की मूर्तियां स्थापित करें।
- मूर्तियों का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।
- लक्ष्मीजी को गणेशजी के दाहिनी ओर रखें।
- मूर्तियों के सामने स्वयं बैठें और परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर।
- कलश स्थापना
- कलश को चावल के ढेर पर रखें।
- लाल वस्त्र में नारियल लपेटकर उसे कलश के ऊपर रखें।
- कलश वरुण देवता का प्रतीक माना जाता है।
दीपक और अन्य प्रतीक
दो बड़े दीपक रखें जिसमें से एक घी का और दूसरा तेल का रखें। दीपक मूर्तियों के चरणों में, गणेशजी के पास और चौकी के दाईं ओर रखें।
पूजा की सामग्री
माता लक्ष्मी को प्रिय सामग्री
1. पुष्प: कमल और गुलाब।
2. फल: श्रीफल (नारियल), सीताफल, बेर, अनार, सिंघाड़ा।
3. सुगंध: केवड़ा, गुलाब और चंदन का इत्र।
4. अनाज: चावल।
5. मिठाई: घर में बनी शुद्ध केसरयुक्त मिठाई या हलवा को भोग के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
6. प्रकाश: गाय के घी, मूंगफली या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
अन्य सामग्रियों की लिस्ट
- गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र।
- पंचामृत, गंगाजल, सिंदूर, भोजपत्र।
- स्वर्ण आभूषण और रत्न।
जानिए लक्ष्मी जी की पूजा विधि
हाथ में जल लेकर यह संकल्प करें। "मैं (अपना नाम) अमुक स्थान और समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा कर रहा हूं ताकि मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो।"
पूजा क्रम
- गणेश और गौरी पूजन: सबसे पहले गणेशजी और गौरी का पूजन करें। अक्षत, पुष्प और गंध अर्पित करें।
- वरुण पूजन (कलश पूजा): कलश पर अक्षत, पुष्प और जल अर्पित करें।
- नवग्रह पूजन: नवग्रह स्तोत्र पढ़ें और उन्हें पुष्प चढ़ाएं।
- षोडश मातृका पूजन: चावल की 16 ढेरियां बनाकर सोलह माताओं को पूजन सामग्री चढ़ाएं।
- रक्षाबंधन विधि: मौली लेकर भगवान गणेश पर चढ़ाएं और तिलक लगाकर मौली को अपने हाथ में किसी से बंधवाएं।
महालक्ष्मी जी का पूजन
माता लक्ष्मी को कमल, गुलाब, मिठाई, चावल, और इत्र अर्पित करें। दीप प्रज्वलित करें और कपूर जलाकर आरती करें। अब लक्ष्मी स्तोत्र, मंत्र और माला का जाप करें।
अंतिम चरण
परिवार सहित प्रसाद ग्रहण करें। दीपक को रातभर जलते रहने दें, यह बेहद ही शुभ माना जाता है।
बरते ये विशेष सावधानियां
- पूजा के दौरान मन को शुद्ध और शांत रखें।
- प्रत्येक सामग्री को आदर और पवित्रता के साथ चढ़ाएं।
- माता लक्ष्मी का पूजन सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस विधि से माता लक्ष्मी की पूजा करने पर वे प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को धन, समृद्धि, और सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।