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देशभर में रामनवमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इसलिए, राम भक्त पूरे साल इस दिन का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस अवसर पर भगवान राम की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि रामनवमी के दिन विष्णु जी ने भगवान राम के रूप में अपना सातवां अवतार लिया था। तो आइए, इस आर्टिकल में रामनवमी के दिन रामलला की पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं।
रामनवमी के दिन भगवान राम के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है और आठ प्रहर का उपवास रखा जाता है। यानी भक्तों को सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक व्रत पालन करना चाहिए, जिससे शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में इस दिन पूजा के शुभ मुहूर्त और विधि का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है। बता दें कि रामनवमी को प्रभु श्रीराम के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। नवमी तिथि के दिन प्रभु श्रीराम की पूजा करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है और उनकी कृपा बनी रहती है।
रामनवमी का त्योहार हर साल चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह तिथि 5 अप्रैल को शाम 7 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी और 6 अप्रैल 2025 को शाम 7 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, साल 2025 में रामनवमी का पर्व 6 अप्रैल को मनाया जाएगा।
साल 2025 में रामनवमी 6 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 08 मिनट से दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। मध्याह्न पूजा का मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।